YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

नेशन

ओआरओपी नीति को लेकर जिस तरह से 'गुलाबी तस्वीर' पेश की गई है वह वास्तविकता से परे  - सुप्रीम कोर्ट

ओआरओपी नीति को लेकर जिस तरह से 'गुलाबी तस्वीर' पेश की गई है वह वास्तविकता से परे  - सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने  सशस्त्र बलों में एक रैंक, एक पेंशन (ओआरओपी) पर मौजूदा नीति के संबंध में केंद्र  सरकार से कहा कि समस्या यह है कि ओआरओपी नीति को लेकर जिस तरह से 'गुलाबी तस्वीर' पेश की गई है, वह वास्तविकता से परे  प्रतीत होती है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ केंद्र सरकार से कहा कि आपने ओआरओपी को कैसे लागू किया है और उसके बाद क्या होता है। हमें कुछ उदाहरण दें कि लोगों को कैसे फायदा हुआ है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि समस्या यह है कि ओआरओपी को लेकर जो 'गुलाबी तस्वीर' प्रस्तुत की जा रही है, वह वास्तविकता से अलग है।
केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एन वेंकटरमण ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहते हैं कि योजना की समीक्षा ऑटोमैटिक रूप से की जाए न कि समय-समय (पीरियॉडिक) पर। याचिकाकर्ता का कहना है कि पांच साल में एक बार इसकी समीक्षा स्वीकार्य नहीं है। एएसजी ने वर्ष 2015 के बाद और 2015 से पहले सेवानिवृत्त हुए सिपाहियों के बीच तुलना का हवाला देते हुए एक सारणीबद्ध चार्ट का भी उल्लेख किया।
पीठ ने पूछा कि मान लीजिए कि कोई व्यक्ति 1990 में सेवानिवृत्त हो गया और संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति (एमएसीपी) योजना 2006 में आई, रैंक अभी भी बनी रहेगी लेकिन अधिकारी को अलग वेतनमान मिलेगा। एएसजी ने शीर्ष अदालत से एमएसीपी को मामले में नहीं लाने का आग्रह किया। हालांकि पीठ ने उनसे पूछा कि हम जानना चाहते हैं कि कितने लोगों को एमएसीपी मिला है। आप कह रहे हैं कि जिन लोगों के पास एमएसीपी है वे एक अलग विशिष्ट वर्ग हैं।
पीठ ने कहा कि ओआरओपी के लिए एमएसीपी महत्वपूर्ण है और अगर 80 फीसदी सिपाहियों को एमएसीपी मिलता है तो क्या उन्हें ओआरओपी मिलेगा। पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि एमएसीपी, ओआरओपी के लिए एक बाधा है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की दलील संसदीय चर्चा और नीति के बीच विसंगति के संबंध में है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ओआरओपी एक वैधानिक शब्द नहीं है, यह कला का एक शब्द है। एएसजी ने कहा कि ओआरओपी कला का एक शब्द है जिसे बारीकियों के साथ और बिना किसी मनमानी के परिभाषित किया गया था। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता दावा कर रहे हैं कि ओआरओपी को एमएसीपी से जोड़कर सरकार ने लाभों को काफी हद तक कम कर दिया है और ओआरओपी के सिद्धांत की हार हो गई है।
 

Related Posts