काठमांडू । नेपाल में राजनीतिक पारा एक बार फिर गर्म होता दिख रहा है लेकिन इस बार भी नेपाल में जारी राजनीतिक बवाल के केंद्र में चीन है। नेपाल की सत्तारूढ़ शेर बहादुर देऊबा सरकार में साझीदार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के नेता पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने चेतावनी दी है कि वह सरकार से अलग हो जाएंगे। प्रचंड ने देऊबा सरकार को यह धमकी ऐसे समय पर दी जब वह कुछ घंटे बाद ही अमेरिका के मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) को लागू करने के लिए संसद में इसे पेश करने जा रही थी। एमसीसी के तहत अमेरिका सरकार नेपाल को 50 करोड़ डॉलर की मदद देना चाहती है लेकिन नेपाल का चीन समर्थक धड़ा इसका विरोध कर रहा है। सीपीएन माओवादी के संसद में नेता देव प्रसाद गुरुंग ने कहा, 'अगर सरकार इसे लागू करने का प्रयास करती है तो यह सरकार के लिए समय है कि गठबंधन को तोड़ दिया जाए।' 50 करोड़ डॉलर की अमेरिकी मदद के जरिए नेपाल में सड़कों की गुणवत्ता को सुधारा जाना है। इसके अलावा बिजली की उपलब्धता को बढ़ाना है और नेपाल तथा भारत के बीच बिजली का व्यापार किया जाना है।
एमसीसी को लागू करने के लिए उसे संसद में पास कराया जाना जरूरी है। प्रचंड की पार्टी ने पीएम देऊबा से कहा है कि वह इस अमेरिकी सहायता पर अपने सहयोगी दलों के साथ आम सहमति बनाए। इससे पहले अमेरिका ने एमसीसी को लेकर नेपाल को धमकी दी थी। अमेरिका ने कहा कि नेपाल 28 फरवरी तक मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन के तहत प्रस्तावित अनुदान सहायता समझौते की पुष्टि करे। यदि नेपाल 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सहायता स्वीकार नहीं करता है तो वह उसके साथ अपने संबंधों की समीक्षा करेगा और ऐसा मानेगा कि यह समझौता चीन की वजह से विफल हो गया।
गत वर्ष सत्ता में आने वाले शेर बहादुर देऊबा ने अमेरिका को आश्वासन दिया है कि वह संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में ही एमसीसी को अपनी अनुमति दे देगा। उधर, प्रचंड और उनके समर्थकों का कहना है कि यह अमेरिकी सहायता देश के संविधान को कमजोर करेगा जो उसकी हिंद-प्रशांत रणनीति का हिस्सा है। उनका यह भी कहना है कि अमेरिका नेपाल की जमीन का इस्तेमाल चीन के खिलाफ कर सकता है। नेपाल और अमेरिका ने 2017 में एमसीसी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। अमेरिकी विदेश मंत्री के सहायक डोनाल्ड लू ने गुरुवार को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, सीपीएन-माओवादी सेंटर के प्रमुख पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ और मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली के साथ टेलीफोन पर अलग-अलग बातचीत की थी। सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार, डोनाल्ड लू ने चेतावनी दी कि 'यदि नेपाली राजनीतिक नेतृत्व 28 फरवरी की निर्धारित समय सीमा के भीतर एमसीसी कॉम्पैक्ट अनुदान का समर्थन करने में विफल रहता है, तो अमेरिका को नेपाल के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।'
इससे पहले पिछले साल श्रीलंका ने भी एमसीसी समझौते को चीन के दबाव में खारिज कर दिया था। इसके बाद अमेरिका ने अपनी प्रस्तावित 48 करोड़ डॉलर की सहायता को रद कर दिया था। एमसीसी के तहत 30 देश दुनियाभर में भागीदार बने हैं और अब तक 13 अरब 50 करोड़ डॉलर की सहायता दी गई है। वहीं चीन इस अमेरिकी सहायता का विरोध कर रहा है। देश के कई हिस्से में एमसीसी को लेकर प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं।
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नेपाल की सियासी हलचल में बवाल का केंद्र बना चीन -माओवादी नेता प्रचंड ने दी सरकार गिराने की धमकी