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एटीएम की संख्या कम होने से उपभोक्ता परेशान

 एटीएम की संख्या कम होने से उपभोक्ता परेशान

पिछले दो वर्षों में एटीएम की संख्या कम होने के कारण इसका औसत इस्तेमाल बढ़ा है। नोटबंदी के बाद अप्रैल 2017 में रोजाना औसत ट्रांजैक्शन की संख्या 105 के निचले स्तर पर थी, जो अप्रैल 2019 में बढ़कर 130 पर पहुंच गई है। एटीएम के औसत इस्तेमाल में सबसे बड़ा योगदान बैंकों द्वारा ज्यादा से ज्यादा डेबिट कार्ड जारी करना है। अप्रैल 2017 में देश में डेबिट कार्ड की कुल संख्या 78 करोड़ थी, जो अप्रैल 2019 में बढ़कर 88 करोड़ पर पहुंच गई है। बैंक इस ओर इशारा दिलाते हैं कि एटीएम रेग्युलेशंस सख्त होने के बाद कई बैंकों ने डेबिट कार्ड बांटना और दूसरे बैंकों के एटीएम के इस्तेमाल के लिए 15 रुपये भुगतान करना ज्यादा किफायती पाया है। 14 जून, 2019 को समाप्त हुए सप्ताह में 22.19 लाख करोड़ की नकदी चलन में थी, जो इसके पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13फीसदी अधिक है। अप्रैल 2017 में यह रकम 14.17 लाख करोड़ रुपये थी। कम किराये वाले टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में एटीएम के इस्तेमाल में वृद्धि के मद्देनजर, एटीएम की व्यवहार्यता बढ़ी है।
एटीएम के इस्तेमाल में बढ़ोतरी का एक अन्य कारण प्रधानमंत्री जन धन योजना खातों का खुलना है। हालांकि, ये खाते तीन साल पहले खुले थे, लेकिन इनमें से अधिकतर खातों में अब पैसे आ रहे हैं, जिसका कारण प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत किसानों के खाते में हर तिमाही 2,000 रुपये डालना है। वर्तमान में, एक महीने में कुल एटीएम विदड्रॉल सर्कुलेशन में मौजूद कुल डेबिट कार्ड की संख्या से कम है। देश में कुल 88 करोड़ डेबिट कार्ड जारी किए गए हैं, जबकि इनसे मासिक विदड्रॉल 80.9 करोड़ है। 

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