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मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा भी अनुकंपा नियुक्ति का पात्र - सुप्रीम कोर्ट

मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा भी अनुकंपा नियुक्ति का पात्र - सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा भी अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का पात्र है क्योंकि कानून के आधार वाली किसी नीति में वंश सहित अन्य आधारों पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति अनुच्छेद 16 के तहत संवैधानिक गारंटी का अपवाद है, लेकिन अनुकंपा नियुक्ति की नीति संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के अनुरूप होनी चाहिए। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिंह की पीठ ने 18 जनवरी 2018 के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया और कहा कि मुकेश कुमार की अनुकंपा नियुक्ति पर योजना के तहत केवल इसलिए विचार करने से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि वह दूसरी पत्नी का बेटा है और रेलवे की मौजूदा नीति के अनुसार उसके मामले पर विचार करने का निर्देश दिया जाता है।
पीठ ने कहा,अधिकारियों को यह परखने का अधिकार होगा कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कानून के अनुसार अन्य सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है या नहीं। आवेदन पर विचार करने की प्रक्रिया आज से तीन महीने की अवधि के भीतर पूरी कर ली जाएगी। इसने कहा, कानून के आधार वाली अनुकंपा नियुक्ति की नीति में वंशानुक्रम सहित अनुच्छेद 16(2) में वर्णित किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। इस संबंध में, वंश को किसी व्यक्ति के पारिवारिक मूल को शामिल करने के लिए समझा जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने मामले के इन तथ्यों का उल्लेख किया कि जगदीश हरिजन 16 नवंबर, 1977 को नियुक्त भारतीय रेलवे का कर्मचारी था और अपने जीवनकाल में उसकी दो पत्नियां थीं। गायत्री देवी उसकी पहली पत्नी थी और कोनिका देवी दूसरी पत्नी थी तथा याचिकाकर्ता मुकेश कुमार दूसरी पत्नी से पैदा हुआ पुत्र है।
हरिजन की 24 फरवरी 2014 को सेवा में रहते मृत्यु हो गई थी और उसके तुरंत बाद गायत्री देवी ने 17 मई 2014 को एक अभ्यावेदन देकर अपने सौतेले बेटे मुकेश कुमार को योजना के तहत अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति देने की मांग की। केंद्र ने 24 जून 2014 को अभ्यावेदन खारिज कर दिया और कहा कि कुमार दूसरी पत्नी का बेटा होने के नाते ऐसी नियुक्ति का हकदार नहीं है। 
 

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