नई दिल्ली । धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने की याचिका पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पिछले 17 वर्षों में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत 98,368 करोड़ रुपये की अपराध की कमाई की पहचान हुई और अटैच की गई। इस अवधि में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच के लिए 4,850 मामले उठाए गए हैं। अपराध की आय की कुर्की में संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी हाफिज मोहम्मद सईद, आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और कथित ड्रग्स तस्कर इकबाल मिर्ची की संपत्ति शामिल है। आतंकवाद और नक्सल फंडिंग के 57 मामलों की जांच में 1,249 करोड़ रुपये की अपराध की आय की पहचान हुई है।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सी टी रवि कुमार की बेंच के समक्ष महाधिवक्ता तुषार मेहता ने लगातार दूसरे दिन बहस जारी रखी। उन्होंने कहा कि 17 साल में की गई 2,883 सर्च की गईं। 256 संपत्तियों के माध्यम से 982 करोड़ रुपये की अपराध की आय अटैच हुई। धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत 37 अभियोजन शिकायतें दर्ज की गईं और दो आतंकवादियों को दोषी ठहराया गया।यह सब धन शोधन निवारण अधिनियम में प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों की परतों के कारण संभव है। 98,368 करोड़ रुपये की अपराध की आय की पहचान की गई और धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 5 के तहत अटैच की गई, जिसमें से 55,899 करोड़ रुपये की अपराध की आय की पुष्टि प्राधिकारी द्वारा की गई है।
इससे पहले, केंद्र ने कल भगोड़े अपराधियों विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अटैच करने का उल्लेख किया था। एसजी ने कहा कि इन 3 व्यक्तियों से अपराध की अटैच आय में से, 15,113।91 करोड़ रुपये की संपत्ति पहले ही अदालत के आदेश के माध्यम से ईडी द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वापस कर दी गई है। 335।06 करोड़ रुपये की संपत्ति भारत सरकार को जब्त कर ली गई है, जिसका अर्थ है कि इन 3 मामलों में बैंकों को हुए कुल नुकसान का 66।91 प्रतिशत ईडी द्वारा उन्हें वापस कर दिया गया है।इस मामले में बहस अगले हफ्ते भी जारी रहेगी।
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धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत 98,368 करोड़ रुपये की अपराध की कमाई की पहचान हुई