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नई भू-रणनीतिक प्राथमिकताओं की वजह से यूएन में रूस के खिलाफ वोटिंग से दूर रहे भारत-चीन

नई भू-रणनीतिक प्राथमिकताओं की वजह से यूएन में रूस के खिलाफ वोटिंग से दूर रहे भारत-चीन

नई दिल्ली । विंटर ओलिंपिक्स के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी समकक्ष शी जिनपिंग ने जब 'नो लिमिट' यानी असीमित सहयोग वाले समझौते पर दस्तखत किए तब यह पता नहीं था कि कुछ दिनों बाद ही एशिया और यूरोप के सामरिक समीकरण बदलने वाले हैं। इस करार के माध्यम से दोनों देशों ने अमेरिका के खिलाफ जुगलबंदी का नया अध्याय लिखा था। 
इसलिए जब पुतिन ने डोन्टेस्क और लुहांस्क को रूसी हिस्सा घोषित कर यूक्रेन पर हमला कर दिया तो कुछ घंटों के भीतर ही इसका लिटमस टेस्ट भी होना तय हो गया। चार फरवरी के समझौते की परीक्षा 24 फरवरी को होनी थी। न ही भारत ने और न ही चीन ने सोचा था कि पुतिन अटैक करेंगे। अब जब रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव में घुस चुकी है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में निंदा प्रस्ताव आ गया तो फैसले की घड़ी भी आ गई। 
इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पुतिन के विरोध के बावजूद नाटो के विस्तार पर चिंता जता चुके थे। रूस पर अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों का असर भारत पर पड़ने की बात भी विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला सार्वजनिक कर चुके थे। साथ ही रूस के साथ दशकों के पुराने संबंधों को भी ध्यान रखना था। इसलिए जब वोटिंग हुई तो भारत ने इसमें हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया। उधर रूस के बेहद करीब आ चुके चीन ने भी भारत की तरह वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति से भारत के बेहद करीब आ चुके सऊदी अरब ने भी यही फैसला लिया। रूस ने वीटो का इस्तेमाल किया। निंदा प्रस्ताव पारित नहीं हो सका।
इसके बाद यूएन महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने बेबसी वाला ट्वीट किया यूएन का गठन युद्ध के बाद युद्ध समाप्त करने के लिए हुआ था। आज वह उद्देश्य हासिल नहीं हो सका, लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए, हमें शांति को एक और मौका देना चाहिए। वैसे भारत और चीन वोट करते भी तो फर्क नहीं पड़ता क्योंकि रूस के पास खुद ही वीटो पावर है। पर ज्यादा महत्वपूर्ण है अमेरिका और नाटो देशों के दबाव में न आना। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन समेत पश्चिमी नेता पीएम मोदी से तटस्थता छोड़कर पुतिन की आलोचना करने का दबाव बना रहे थे। 
भारत के लिए कूटनीतिक परीक्षा की घड़ी थी क्योंकि यूक्रेन पर हमले से यूएन चार्टर का उल्लंघन हुआ है। इसलिए भारत ने वोट न करने को जो कारण बताए उसके साथ-साथ यह भी कहा कि युद्ध से किसी मसले का हल नहीं निकल सकता। यूएन में भारत के प्रतिनिधि तिरुमूर्ति ने एक स्पष्टीकरण जारी किया। इसके मुख्य बिंदु इस तरह हैं। भारत यूकेन के मौजूदा हालात पर गहरी चिंता व्यक्त करता है। हम सभी पक्षों से हिंसा और शत्रुता जल्दी खत्म करने की अपील करते हैं। मानव जीवन की कीमत पर कोई निदान नहीं निकल सकता। यूक्रेन में फंसे भारतीयों की सुरक्षा को लेकर हम बहुत चिंतित हैं। मौजूदा वैश्विक व्यवस्था यूएन चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता के सम्मान के आधार पर बनी है। सभी देशों को इन सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। कूटनीति का रास्ता छोड़ देना निंदनीय है, हमें इसी रास्ते पर लौटना चाहिए। इन सभी कारणों से भारत इस प्रस्ताव पर वोटिंग से अनुपस्थित रहने का फैसला करता है।
हमारे देश ने जो कारण बताए हैं वो डोन्टेस्क और लुहांस्क के रूस में शामिल किए जाने के बाद के मद्देनजर देखें तो तस्वीर थोड़ी साफ हो सकती है। दरअसल ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में इसे देखने की जरूरत है जिसकी तरफ पुतिन भी उंगली उठाते आए हैं। नाटो के विस्तार को पुतिन रूस की संप्रभुता पर हमला करार देते आए हैं। चीन की तरफ से तुरंत तो कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पिछले दिनों जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग से पूछा गया था तब जवाब कुछ ऐसा ही था। उन्होंने यूक्रेन के भीतर स्पेशल आर्मी ऑपरेशन पर कहा इसका ऐतिहासिक संदर्भ काफी पेचीदा है और मौजूदा हालात सभी तरह के फैक्टर्स के कारण बने हैं। भारत और चीन ने इस मुद्दे पर कोई स्टैंड नहीं लेकर अपनी प्राथमिकताओं को तरजीह दी है। हो सकता है भारत और चीन के इस कदम की आलोचना की जाए, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में टैक्टोनिक शिफ्ट का काल है। चीन से जूझ रहे अमेरिका का फोकस अब यूरोप बन गया है। वह एक साथ एशिया और यूरोप में पंगा नहीं ले सकता। शीत युद्ध काल की वापसी से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की कूटनीति भी फ्लैशबैक में जा सकती है। 
यह सच्चाई है कि चीन से निपटने के लिए क्वाड का गठन किया गया। यह भी सच्चाई है कि रूस-चीन-भारत की ग्रुपिंग आरआईसी भी है जिसे 1990 के दशक में रूस की पहल पर बनाया गया था। ब्रिक्स में भी भारत और चीन साथ हैं। हालांकि किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी लेकिन यूक्रेन वॉर ने अचानक वैश्विक सामरिक नक्शे में बदलाव कर दिया है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
 

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