नई दिल्ली । कोविड महामारी के लॉकडाउन प्रतिबंधों के कारण ऑनलाइन शिक्षा की लंबी अवधि के बाद अपने स्कूलों में ऑफ़लाइन शिक्षा को फिर से शुरू करने के लिए, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) अपने स्कूलों के छात्रों एव शिक्षकों के भावनात्मक, शारिरिक और शैक्षिक कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए आनन्ददायक माहौल बना रही है , जिससे इस बीच पारम्परिक शिक्षा में आयी खाई को खत्म किया जा सकें - यह जानकारी आज एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने दी ।
श्री उपाध्याय ने कहा कि जिस प्रकार बच्चो के लिए स्कूल जरुरी है, उसी तरह बच्चो के बिना स्कूल भी वीरान थे । लेकिन अब परिषद के नवयुग और अटल आदर्श स्कूल अब छात्रों की आवाजो से चहचाने लगे हैं । उन्होंने कहा की सभी छात्रों को सीखने के साथ-साथ स्कूल के माहौल के माध्यम से खेल-खेल में छात्रों के लिए आरामदायक वातावरण महसूस करने की कोशिश कर रहे हैं, विशेष रूप से प्राथमिक कक्षाओं जैसे कि प्ले-वे गतिविधियों, योग, प्रार्थनाओं, परिचय-आधारित चर्चाओं, माता-पिता के साथ नियमित बातचीत उन्हें सभी एहतियाती उपायों के बारे में जानकारी देते हैं।
उन्होंने कहा कि एनडीएमसी ने इनडोर-आउटडोर स्पोर्ट्स, गेमिंग, नृत्य, संगीत कक्षाएं, कॉमिक / रचनात्मक किताबें पढ़ना, कला और शिल्प गतिविधि, आध्यात्मिक प्रार्थनाएं, अबैकस गतिविधि, स्मार्ट बोर्ड कक्षाएं, लाइव विज्ञान व्यावहारिक कक्षाएं आदि जैसी विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन कर रही है ।ये सभी क्रियाकलाप माता-पिता को अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करते हैं और बच्चों को एक खुशहाल माहौल देने की कोशिश भी करते हैं।
श्री उपाध्याय ने कहा कि उन्हें चिंता और तनाव मुक्त और मानसिक प्रेरणा से युक्त बनाने पर हमारा ध्यान कुछ शुरुआती दिनों के लिए प्राथमिकता है । उन्होंने कहा कि हमारा कर्तव्य न केवल कोविड उपयुक्त दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए निर्देश देना ही नही है, बल्कि उन्हें अपने अध्ययन में मानसिक और आध्यात्मिक रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए भी तैयार करना है। उन्होंने कहा कि हम छात्रों को व्यावहारिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार कर रहे हैं क्योंकि वे लंबे समय से स्कूलों के साथ व्यावहारिक संपर्क में नहीं हैं।
श्री उपाध्याय ने कहा कि हमारा उद्देश्य इस समय उन्हें होमवर्क इत्यादि के किसी प्रकार का बोझ देना नहीं है बल्कि हमें उन्हें यह भी तैयार करने की आवश्यकता है कि कोविड और ओमीक्रॉन जैसी बीमारियों में कैसे भविष्य में जीया जाए। श्री उपाध्याय ने बताया कि सीबीएसई बोर्ड की 10वीं और 12वीं के परीक्षा कैसे दी जाएगी, उसके लिए शिक्षकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे बच्चो में अपनी पढ़ाई तैयार करने और कोविड ओमीक्रोन रोगों की तरह किसी भी बाधा के खिलाफ लड़ने के लिए बच्चों की मानसिकता तैयार करें।
श्री उपाध्याय ने कहा कि कोविड के दौरान स्कूली बच्चों को स्कूल जाने, खेल के मैदानों में समय बिताने, शिक्षकों और दोस्तों के साथ बातचीत करने, कार्यक्रमों में भाग लेने के बजाय अपने कमरों तक सीमित रखा जाता था । उन्होंने कहा कि स्कूल बंद होने का न केवल उनकी पढ़ाई बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा, क्योंकि कोविड के दौरान, हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों की सुरक्षा थी। उन्होंने कहा कि हमारे लिए बच्चों को कक्षा में अब वापस लाने की अनुमति देकर सीखने के अंतर को समाप्त करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि एनडीएमसी स्कूलों में छात्र मास्क पहन रहे हैं और हाथ की स्वच्छता की सख्त दिनचर्या का पालन भी कर रहे हैं। जहां तक संभव हो, माता-पिता को बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए अपने व्यक्तिगत परिवहन साधन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ।
श्री उपाध्याय ने कहा कि ऑफलाइन शिक्षा ही सीखने की मूल विधि है जो छात्रों को अपने साथियों और शिक्षकों के साथ नियमित रूप से आमने-सामने बातचीत करने की अनुमति देती है। जितना ऑनलाइन शिक्षा सीखने का भविष्य होने की भविष्यवाणी की जाती है, यह ऑफ़लाइन शिक्षा के समग्र पहलू को प्रतिस्थापित नहीं कर सकती है। ऑफ़लाइन शिक्षा तकनीकी मुद्दों से गंभीर रूप से प्रभावित नहीं होती है और छात्रों को एक सख्त कार्यक्रम विकसित करने और इसका पालन करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है।
उन्होने कहा कि इसके अलावा, ऑफ़लाइन शिक्षा भी शिक्षकों को अपने छात्रों की प्रतिक्रियाओं और व्यवहार की निगरानी करने की अनुमति देती है और आवश्यकतानुसार उन्हें सीधे संबोधित करती है। इसलिए, कोई फर्क नहीं पड़ता कि ऑनलाइन शिक्षा कितनी उन्नत है, ऑफलाइन शिक्षा ही छात्रों के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी।
रीजनल नार्थ
एनडीएमसी स्कूल के छात्र विद्यालयों में पहुंच कर ऑफ़लाइन शिक्षा का आनंद लेने लगे है : उपाध्यक्ष, पालिका परिषद