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 घोटाले सामने आने के डर से बीजेपी एमसीडी ने 4 सालों से नहीं छापी ऑडिट रिपोर्ट - लगभग 6000 करोड़ का घोटाला पकड़े जाने के बाद से बीजेपी एमसीडी ने एक भी ऑडिट रिपोर्ट नहीं छापी

 घोटाले सामने आने के डर से बीजेपी एमसीडी ने 4 सालों से नहीं छापी ऑडिट रिपोर्ट - लगभग 6000 करोड़ का घोटाला पकड़े जाने के बाद से बीजेपी एमसीडी ने एक भी ऑडिट रिपोर्ट नहीं छापी

नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा शासित एमसीडी हज़ारों करोड़ों का घोटाला छुपाने के लिए पिछले 4 वर्षों से ऑडिट रिपोर्ट नहीं छाप रही है। ‘आप’ प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि वर्ष 2017-2018 की ऑडिट रिपोर्ट में खुद एमसीडी के ऑडिटर ने लगभग 6000 करोड़ के भुगतान पर आपत्ति जताई थी। जिसके बाद से एमसीडी ने ऑडिट रिपोर्ट छापनी बंद कर दी है। आम आदमी पार्टी ने कई पत्र भेजे और व्यक्तिगत मुलाकात भी की लेकिन बीजेपी एमसीडी की और से कोई जवाब नहीं आया। दुर्गेश पाठक ने कहा कि भाजपा ऐसा कौन सा भ्रष्टाचार छुपाने की कोशिश कर रही है जो पिछले 4 सालों से ऑडिट रिपोर्ट नहीं छाप रही है। 
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने रविवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। दुर्गेश पाठक ने कहा कि हमलोग लगातार एमसीडी में हो रहे भ्रष्टाचार से आपलोगों को लगातार सूचित करते रहते हैं। जब भी एमसीडी का बजट आता है और उसकी जो प्रक्रिया होती है, उसी बजट के साथ एक ऑडिट रिपोर्ट भी आती है। लेकिन पिछले कई सालों से भाजपा की एमसीडी अपनी ऑडिट रिपोर्ट नहीं जारी कर रही है। हमारे एलओपी कई पत्र लिख चुके हैं लेकिन अभी तक कोई जवाबदेही नहीं है। हमेशा यह कहा जाता था कि कोविड के कारण ऑडिट रिपोर्ट नहीं बन पा रही है। जब बजट बन सकता है, दिल्ली सरकार अपना ऑडिट निकाल सकती है, एमसीडी अपनी ऑडिट रिपोर्ट क्यों नहीं निकाल सकती है। इनकी पिछली ऑडिट रिपोर्ट 2017-2018 की थी। इसमें लगभग 38 पन्ने थे। मैं पहले नॉर्थ का बनाता हूं। नॉर्थ एमसीडी में लगभग 3153 करोड़ रुपए के भुगतान की प्रक्रिया पर प्रश्न उठे थे। ईस्ट एमसीडी की ऑडिट रिपोर्ट में 1252 करोड़ रुपए के भुगतान पर प्रश्न उठा था। और साउथ एमसीडी की ऑडिट रिपोर्ट में लगभग 1696 करोड़ के भुगतान में घपलेबाजी पर प्रश्न उठे थे। इसका कुल लगभग 6000 करोड़ रुपए बनता है। खुद एमसीडी के ऑडिटर ने कहा कि यह मेरी रिपोर्ट नहीं बल्कि एमसीडी की रिपोर्ट है। इसके बाद एमसीडी ने ऑडिट रिपोर्ट छापना बंद कर दिया। इसका मतलब इसमें बहुत बड़े घोटाले का अंदेशा है। जिसके कारण भाजपा बहुत डरी हुई है इसलिए वह ऑडिट रिपोर्ट नहीं छाप रही है। वर्ष 2018-2019, वर्ष 2019-2020, वर्ष 2020-2021, वर्ष 2021-2022 की ऑडिट रिपोर्ट का कुछ पता नहीं है। नई ऊर्जा वाली यह जो सरकार आई, इन्होंने कोई घर नहीं छोड़ा जिसे इन्होंने लूटा ना हो। लेकिन अब यह लोग भ्रष्टाचार में इस प्रकार से लिप्त हो चुके हैं कि ऑडिट रिपोर्ट छापना भी जरूर नहीं समझ रहे हैं। हमने ना सिर्फ पत्र लिखा बल्कि मेयर और कमिश्नर से मुलाकात की, लेकिन इसपर कोई संतोषजनक जवाब नहीं आ रहा है। मैं मीडिया के बंधुओ से भी गुजारिश करता हूं कि आप ही कुछ ऐसा करें कि वह जवाब दे दें। अब तो एमसीडी के चुनाव में भी कुछ ही समय बचा है। तो भाजपा ने जो पिछले 4 सालों में घपलेबाजी की है, और उसपर जो उनके ही ऑडिटर की रिपोर्ट है, उसे छापेगी की नहीं छापेगी? यदि 2017-2018 के घोटाले का उदाहरण लिया जाए तो अबतक लगभग 26000 करोड़ रुपयों का घोटाला बनता है। यह मैं नहीं कह रहा हूं बल्कि खुद साउथ एमसीडी के ऑडिटर की रिपोर्ट में लिखा हुआ है। रिपोर्ट के दीसरे पन्ने के 7वें पॉइंट को पढ़ेंगे तो वहां लिखा हुआ है कि 1696 करोड़ रुपए के भुगतान पर आपत्ति जताई गई है। आप नॉर्थ की रिपोर्ट के तीसरे पनन्ने पर जाएंगे तो वहां 3153 करोड़ रुपयों के भुगतान पर आपत्ति है। वहीं ईस्ट एमसीडी के तीसरे पन्ने पर जाएंगे तो 1252 करोड़ रुपयों के भुगतान पर आपत्ति है। मैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा के मेयर, भाजपा के सभी नेताओं से पूछना चाहता हूं कि आप छुपाना क्या चाहते हैं? आपके मन में कौन सा चोर है? आपने कितना बड़ा भ्रष्टाचार किया है जो आप ऑडिट रिपोर्ट नहीं छापना चाहते हैं? पिछले चार सालों में ऐसा क्या किया है जो आप ऑडिट रिपोर्ट नहीं छापना चाहते हैं? दिल्ली की जनता यह जानना चाहती है। यदि एक वर्ष के ऑडिट रिपोर्ट में लगभग 6000 करोड़ की आपत्ति हो सकती है तो आप सोचिए इस पूरे कार्यकाल में लगभग 30 से 35 हज़ार के घोटाले पर यह लोग काम कर रहे होंगे।
 

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