नई दिल्ली । जिस प्रदेश में अधिकतर जाति और धर्म का बोलबाला रहता है, वहां सरकारी और कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थी भाजपा के लिए ‘डबल इंजन’ का प्रतीक बन गए हैं। भाजपा को उम्मीद है कि इससे सत्ताविरोधी लहर भी खत्म हो जाएगी। कई लाभार्थियों के रिकॉर्ड की जांच की गई, इससे पता चला कि अधिकांश ने जीवन में पहली बार डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का लाभ उठाया है। लाभार्थी वर्ग 2013 में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना शुरू होने के बाद उभरा और जैसे-जैस योजनाएं आती गई, वैसे-वैसे इनकी संख्या भी बढ़ती गई। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ग्रामीण विकास) मनोज कुमार सिंह ने कहा कि, पिछले पांच वर्षों के दौरान यूपी में योजना (आवास योजना) के तहत 26.5 लाख घर बनाए गए हैं, जो कि 15 साल पहले बने घरों की संख्या के बराबर है।
उन्होंने कहा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में मकान बनाने के लिए दी जाने वाली अनुदान राशि को 75,000 रुपए से बढ़ाकर 1,20,000 रुपये कर दिया गया है। 37 वर्षीय गोविंद दास अपनी पत्नी, तीन बच्चों और अपने पिता के साथ झांसी जिले के बबीना विधानसभा क्षेत्र के बरुवा सागर के पास अचरू खिरक फुतेरा गांव में रहते हैं। 10वीं कक्षा से ड्रॉपआउट गोविंद 5,000-6,000 रुपये प्रति माह कमाते हैं। गोविंद अपने एक चौथाई एकड़ के खेत को जोतने के अलावा, नरेगा साइटों पर एक मजदूर के रूप में और मध्य प्रदेश के ओरछा में एक कारखाने में अंशकालिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते हैं।
पिछले साल गोविंद और उनके परिवार को पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 90 हजार रुपए मिले थे और यह राशि गोविंद दास के पिता दयाराम के खाते में आई थी। उन्होंने कहा कि अभी भी उन्हें 30 हजार रुपए मिलने बाकी हैं और उनके एक कमरे वाले घर का निर्माण जारी है। 2019 में गोविंद के परिवार को शौचालय बनवाने के लिए 12 हजार रुपए की अनुदान राशि मिली थी।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत सरकार 6 हजार रुपए वर्ष में तीन इंस्टॉलमेंट में जमीन वाले किसान परिवारों को देती है। गोविंद और उनकी पत्नी प्रमिला देवी के पास ई-श्रम कार्ड भी है, जो एक केंद्रीय योजना है जिसके तहत 2 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा मिलता है। जबकि दोनों पति-पत्नी उत्तर प्रदेश बिल्डिंग और अन्य कंस्ट्रक्शन कर्मचारी कल्याण बोर्ड में भी रजिस्टर्ड है, जिसके तहत एकमुश्त 1 हजार रुपए कोरोना राहत फंड के नाम पर मिलता है।
गोविंद दास के पास अंतोदय कार्ड भी है, जिसके तहत 35 किलो अनाज हर महीने उन्हें सब्सिडी के आधार पर मिलता है। जबकि कोरोना काल में प्रति परिवार 5 किलो अनाज प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मिल रहा है। साथ ही परिवार को राज्य सरकार की ओर से गरम दाल, तेल और नमक भी हर महीने मिल रहा है। गोविंद दास ने कहा गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो है, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं रहता है। जब उनसे पूछा गया कि आप इलेक्शन में किन मुद्दों को उठाना चाहेंगे तो उन्होंने कहा कि कोई प्लांट लग जाए तो कुछ हो जाए, रोजगार मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि छुट्टा जानवर बड़ी समस्या हैं।
गोविंद के परिवार से 80 किलोमीटर दूर महोबा जिले के चरखारी विधानसभा क्षेत्र के सौरा गांव में रहती हैं। गीता देवी अपने पति, तीन बच्चे और ससुर के साथ रहती हैं। गीता के पति विजय कुमार ट्रक ड्राइवर है और आठ से दस हजार रुपए महीने कमाते हैं। जबकि उनके बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं। परिवार एक घर बनवा रहा है जिसके तहत 1 लाख 20 हजार रुपए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत उनके खाते में आया है। गीता के पास नरेगा जॉब कार्ड भी है और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी सिलेंडर भी मिला है। गीता के परिवार के पास 1 बीघा खेत भी है जिसके कारण प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20 हजार रुपए अभी तक मिल चुके हैं।
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‘डबल इंजन’ का प्रतीक बन गए सरकारी योजनाओं के लाभार्थी, निष्प्रभावी होगी सत्ता विरोधी लहर