YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

वर्ल्ड

चीन की खुली धमकी, अमेरिका ने ताइवान का समर्थन किया तो भारी कीमत चुकायेगा -यूक्रेन युद्ध के बीच चीन ने अमेरिका को आंखें दिखाई ताइवान पहुंचा अमेरिकी दल

चीन की खुली धमकी, अमेरिका ने ताइवान का समर्थन किया तो भारी कीमत चुकायेगा -यूक्रेन युद्ध के बीच चीन ने अमेरिका को आंखें दिखाई ताइवान पहुंचा अमेरिकी दल

बीजिंग। रूस ने यूक्रेन में युद्ध छेड़ा हुआ है, तो ताइवान पर चीन ने अमेरिका को आंखें दिखाई हैं। अमेरिकी अधिकारियों का दल ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंचा है। अब चीन ने खुली धमकी दी है कि अगर अमेरिका ताइवान की आजादी का समर्थन करता है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेन वेनबिन ने कहा है कि ताइवान के लिए अपने तथाकथित समर्थन का प्रदर्शन करने के लिए किसी को भी भेजने के अमेरिकी कोशिश बेकार है। हम अमेरिका से एक-चीन के सिद्धांत का पालन करने के लिए कहते हैं।
  अमेरिका के ज्वाइंट चीफ्ट ऑफ स्टाफ के पूर्व अध्यक्ष माइकल मुलेन समेत पांच सदस्यों का दल ताइपे पहुंचा है। इस दल का ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने स्वागत किया है। ये दल दो दिन में राष्ट्रपति साई इंग वेन समेत दूसरे अधिकारियों से मुलाकात करेगा। अमेरिका ने ये दल ताइवान के साथ समर्थन जताने के लिए भेजा है। वहीं, अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी चीन पहुंच रहे हैं। चीन को ये बात चुभ रही है। चीन ने इसे लेकर अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी है। वेन वेनबिन ने कहा, अगर अमेरिका ताइवान की आजादी को बढ़ाने की कोशिश करता है तो हम उसे चेतावनी देना चाहेंगे कि इससे केवल ताइवानी की आजादी चाहने वालों का नुकसान होगा। अमेरिका को अपने जोखिम भरे कामों लिए भारी कीमत चुकानी होगी।
  दरअसल अमेरिका को ताइवान में यूक्रेन जैसे हमले की आशंका सता रही है। बीते कुछ महीनों में चीन ने अपनी सैन्य तैयारियां तेज की हैं। चीन बार-बार लड़ाकू जेट्स को ताइवान की सीमा पर भेजता है। कई बार चीनी युद्धपोत ताइवान की जलसीमा में भी दाखिल हो चुके हैं। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता रहा है।” अमेरिका ने एक वक्त में चीन की इसी नीति का समर्थन भी किया था, लेकिन बाद में बदल गया। साल 1972 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने चीन की यात्रा की थी। इस यात्रा के दौरान ही सात साल बाद चीन और अमेरिका के राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। इसके बाद अमेरिका ने ताइवान से संबंध खत्म कर लिए थे। अब भी अमेरिका के ताइवान से आधिकारिक रूप से संबंध नहीं हैं, लेकिन अमेरिका को ताइवान को रक्षा के लिए हथियार सप्लाई करता है। जानकारों का कहना है कि यूक्रेन में अमेरिका ने कमजोरी दिखाई है और इस कमजोरी का फायदा उठाने की कोशिश चीन जरूर करेगा।
 

Related Posts