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इतिहास बन गई ई-बुक्स सर्विस

इतिहास बन गई ई-बुक्स सर्विस

अमेरिकी टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने ई-बुक्स सर्विस को बंद कर दिया है। जिन यूजर्स ने इस प्लेटफॉर्म से डिजिटल किताबें खरीदी थीं वे अब उनके लिए ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हैं। कंपनी ने कहा है कि वह यूजर्स को किताबों की कीमत के बराबर रिफंड देगी। साथ ही जिन यूजर्स ने किताबों से हाईलाइट्स या नोट्स बनाए थे उन्हें 25 डॉलर (करीब 1,700 रुपए) का अतिरिक्त रिफंड दिया जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट ने अप्रैल में कहा था कि वह इस सर्विस को बंद कर सकती है। हालांकि किसी यूजर को यह अंदाजा नहीं था कि उन्हें खरीदी किताबों का कोई बैकअप ऑप्शन नहीं मिलेगा। माइक्रोसॉफ्ट के इस रुख की काफी आलोचना भी हो रही है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स का यह भी कहना है कि यह फैसला ठीक वैसा ही है जैसे आपने घर खरीदा हो और कुछ समय बाद बिल्डर कहे कि अपना पैसा लो और घर खाली कर दो। इंटरनेट के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर डिजिटल किताबें यानी ई-बुक्स डिजिटल राइट्स मैनेजमेंट (डीआरएम) के तहत खरीदे जाते हैं। डीआरएम के तहत यूजर्स को डिजिटल प्रॉपर्टी इस्तेमाल करने के लिए लाइसेंस जारी होता है। यानी उस पर उसका मालिकाना हक नहीं होता है। लिहाजा माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गुंजाइश भी काफी कम है। ऐसा पहली बार नहीं है जब माइक्रोसॉफ्ट डिजिटल किताबें बेचने का अपना बिजनेस समेटा हो। कंपनी इससे पहले दो बार और ऐसा कर चुकी है। अमेजन के डिजिटल बुक्स बिजनेस में आने से सात साल पहले माइक्रोसॉफ्ट ने सबसे पहले साल 2000 में रिटेलर बार्नेस एंड नोबल के साथ करार कर एमएस रीडर लॉन्च किया था। लेकिन, प्रोजेक्ट सफल नहीं हुआ और माइक्रोसॉफ्ट ने इसे वापस ले लिया। इसके बाद 2012 में भी डिजिटल किताबों का कारोबार शुरू किया था। लेकिन दो साल में यह प्रोजेक्ट भी ठप हो गया। ई-बुक्स सर्विस 2017 में लॉन्च की गई थी।

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