नई दिल्ली । वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत सोमवार को 130 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई जो 2008 के बाद इसका उच्चतम स्तर है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस से तेल के आयात पर पाबंदी लगाने पर विचार कर रहे हैं। साथ ही ईरान के कच्चे तेल के वैश्विक बाजारों में आने में देरी हो सकती है। इन कारणों से क्रूड की कीमतें 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत में आने वाले दिनों में 25 रुपये प्रति लीटर की भारी बढ़ोतरी हो सकती है। जानकारी के मुताबिक सोमवार को शुरुआती कारोबार में ब्रेंट की कीमत 11.67 डॉलर की उछाल के साथ 129.78 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई। इसी तरह डब्ल्यूटीआई क्रूड भी 10.83 डॉलर की तेजी के साथ 126.51 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। यह मई 2020 के बाद तेल की कीमत में सबसे बड़ी एक दिनी उछाल है। जुलाई 2008 में ब्रेंट 147.50 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई 147.27 डॉलर प्रति डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंचा था। रविवार को कारोबार के दौरान ये दोनों क्रमशः 139.13 डॉलर और 130.50 डॉलर के भाव पर पहुंचे थे। इस साल कच्चे तेल की कीमत 185 डॉलर प्रति बैरल पहुंच सकती है। रूस रोजाना करीब 70 लाख बैरल तेल की सप्लाई करता है जो दुनिया की कुल सप्लाई का सात फीसदी है। विश्लेषकों के मुताबिक अगर रूस से तेल के निर्यात में कटौती होती है तो कच्चे तेल की कीमत 200 प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। दूसरी ओर ईरान के साथ अगर न्यूक्लियर डील होती है तो भी वहां से कच्चे तेल के वैश्विक बाजार तक पहुंचने में कई महीने लग सकते हैं।
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कच्चा तेल 130 डॉलर, पेट्रोल-डीजल हो सकता है महंगा