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रूस-यूक्रेन जंग से प्रभावित भारत में भी होने लगी पैनिक बाइंग

रूस-यूक्रेन जंग से प्रभावित भारत में भी होने लगी पैनिक बाइंग


नई दिल्ली । युद्धग्रस्त देश यूक्रेन में 24 फरवरी से चल रहे  रूसी हमले का का असर अब दुनिया भर में दिखाने लगा है। भले ही बम और बारूद भारत से हजारों किलोमीटर दूर बरस रहे हों, लेकिन जंग का बुरा प्रभाव यहां भी पड़ने लगा है। खबरों के अनुसार, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत में लोग पैनिक बाइंग करने लग गए हैं। खासकर खाने के तेल के मामले में लोग जरूरत से ज्यादा खरीदकर स्टॉक कर रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं इस जंग के चलते खाने के तेलों की शॉर्टेज न हो जाए। व्हाट्सऐप पर वायरल हो रहे फेक मैसेजेज पैनिक बाइंग को और बढ़ा रहे हैं। रिपोर्ट में मुंबई की एक महिला रेखाना खान के हवाले से बताया गया है, 'व्हाट्सऐप पर मुझे मैसेज मिले कि जंग के चलते बाजार में खाने के तेलों की कमी हो सकती है। इसी कारण मैं तुरंत खरीदने आ गई।' उक्त महिला ने मैसेज मिलने के बाद 10 लीटर खाने के तेल की खरीदारी कर ली, जबकि सामान्यत: वह हर महीने 5 लीटर ही खरीदती है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 1 महीने में भारत में खाने के तेल की कीमतों में 20 फीसदी से ज्यादा उछाल आया है। कीमतों में इस तरह की तेजी के बीच वायरल फेक मैसेजेज पैनिक बाइंग को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत खाने के तेल के मामले में बहुत हद तक इम्पोर्ट पर निर्भर करता है। खाने के तेल के मामले में भारत की दो-तिहाई जरूरतें इम्पोर्ट से पूरी होती हैं। सनफ्लावर ऑयल की बात करें तो इसके मामले में भारत लगभग पूरी तरह से रूस और यूक्रेन पर निर्भर है। भारत के टोटल सनफ्लावर ऑयल इम्पोर्ट का 90 फीसदी से ज्यादा इन्हीं दो देशों से आता है। हालांकि एक्सपर्ट मानते हैं कि पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि अगर होगी भी तो सिर्फ सनफ्लावर ऑयल की किल्लत होगी। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक्सीक्यूटिव डाइरेक्टर बीवी मेहता बताते हैं, 'अन्य सभी खाने के तेल जैसे पॉम ऑयल, सोया तेल, सरसों तेल, मूंगफली तेल आदि की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं है। इस कारण पैनिक बाइंग करने की कोई जरूरत नहीं है।'
 

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