मास्को । रूस में पिछले 13 दिनों से जंग जारी है। जहां रूस यूक्रेन के कई बड़े शहरों पर हमला कर रहा है, वहीं यूक्रेन ने भी हार नहीं मानने की ठान ली है। रूस और यूक्रेन के बीच की तीसरे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही है। दोनों देशों के बीच युद्ध विराम पर कोई सहमति नहीं बनी है। रूस ने तीसरे दौर की वार्ता में युद्ध विराम के लिए यूक्रेन के सामने चार शर्तें रखी हैं। हालांकि रूस के खिलाफ काफी आक्रमक नजर आ रहे जेलेंस्की सरेंडर करने के मूड में कतई नजर नहीं आ रहे हैं।
वहीं युद्ध रोकने के लिए पुतिन की शर्तें
रूसी सरकार ने अपनी पहली शर्तें में कहा है कि यूक्रेन तुरंत अपनी सैन्य कार्रवाई बंद कर दे। क्रिमलिन के प्रवक्ता ने कहा कि हम यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाई रोक देंगे लेकिन इसके लिए यूक्रेन की सेना को रूस के खिलाफ अपनी कार्रवाई बंद करनी होगी।
दूसरी शर्त में यूक्रेन अपने संविधान में संशोधन करके इस प्रस्तावना को जोड़ता हैं, कि वहां कभी भी नाटो देशों को ज्वाइन नहीं करेगा,तब रूस इस युद्ध को रोकने में जरा भी देर नहीं लगाएगा।
यूक्रेन क्रीमिया को रूसी हिस्से के रूप में मान्यता दे। बता दें कि क्रीमिया कभी रूस का ही हिस्सा हुआ करता था। लेकिन 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ के नेता खुर्सेव ने इसे यूक्रेन को तोहफे में दे दिया था। मार्च 2014 में रूस ने हमला कर वापस क्रीमिया को अपने में मिला लिया।
इसके अलावा यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में पड़ने वाले दोनियस्क और लुहांस्क के इलाकों को 2014 में अलगाववादियों ने स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था। यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने से पहले ही 15 फरवरी को रूसी संसद ने व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन के इन इलाकों को अलग देश का मान्यता देने का प्रस्ताव भेजा और 21 फरवरी को पुतिन ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए। प्रत्यक्षदर्शियों के दावे के अनुसार रूसी सेना ने यूक्रेन के सुरक्षा बलों द्वारा छोड़े गए एक बेस पर सैन्य उपकरण, तोपखाने और ईंधन डिपो के साथ दक्षिण-पूर्व यूक्रेन में बर्दियांस्क के बाहरी इलाके पर कब्जा कर लिया है।
वर्ल्ड
पुतिन की चार शर्तें मान लें जेलेंस्की, तब अभी रुक जाएं जंग