लंदन । हम कोरोना के बाद की जटिलताओं को कहां तक समझ पाएं हैं? यह एक अहम सवाल है। ये सोचना गलत है कि एक बार जब कोविड संक्रमण कम हो जाता है, तो हम कोरोनावायरस से बच गए और हमेशा के लिए सुरक्षित हो गए हैं। कोविड शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है, और संक्रमण के बाद भी प्रभाव बना रहता है। सांस की ये बीमारी ठीक होने के बाद भी लोगों को लंग्स, हार्ट और पेट से जुड़ी तकलीफों से प्रभावित करती नजर आ रही है।
मतलब कोरोना वायरस ने लक्षणों के साथ दीर्घकालिक रूप से शरीर के कई अंगों पर गंभीर असर डाला है। कई लोगों में ठीक होने के लंबे समय के बाद तक भी दिक्कतें देखने को मिल रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि कोविड-19 से ठीक होने वाले लोगों में हार्ट रोगों के मामले अधिक देखे जा रहे हैं। एक रिपोर्ट में बेंगलुरू की नारायण हेल्थ सिटी में कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रवीण पी सदरमिन कहते हैं, ‘ कोविड-19 को हार्ट के लिए बड़े संकट के तौर पर देखा जा रहा है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन ने महामारी की शुरुआत में ही इसकी आशंका जताई थी कि कोविड-19 के कारण इंफ्लामेटरी दिक्कतें बढ़ सकती हैं, जिसके कारण लोगों को हार्ट में सूजन और इससे संबंधित कई तरह की अन्य समस्याएं हो सकती हैं। ये मायोकार्डिटिस या पेरिकार्डिटिस के रूप में प्रकट हो सकती है। यही कारण है कि जानकार कोविड से ठीक होने के बाद हार्ट की जांच करा लेने की सलाह देते हैं। ‘ संक्रमण से ठीक हो चुके लोग हार्ट बीट में बढ़ोतरी की शिकायत लेकर आ रहे हैं। हार्ट की सामान्य गति 60 से 100 के बीच की होती है। वैसे तो कुछ कारणों के चलते इसमें कभी-कभार बढ़ोतरी आ सकती है, हालांकि संक्रमण से ठीक होने के बाद ज्यादातर लोगों में इस तरह की दिक्कत अक्सर बने रहने की समस्या देखी जा रही है। इसे मेडिकल की भाषा में टैकाकार्डिया के रूप में जाना जाता है। कोविड में, कई रोगियों ने दिल से संबंधित कई समस्याओं की शिकायत की है जैसे कि ठीक होने के बाद भी तेज़ धड़कन का अनुभव करना, ये चिंता की बात है। टैकाकार्डिया वह स्थिति है जिसमें हार्ट रेट में बढ़ोतरी देखी जाती है; ये या तो हार्ट के निचले कक्षों में शुरू हो सकता है, जिसे निलय कहा जाता है या ऊपरी कक्षों में जिसे अटरिया कहा जाता है। जिन लोगों को कोरोना के हल्के-मध्यम स्तर का संक्रमण रह चुका है, ऐसे लोगों में भी हार्ट के बढ़ने की समस्या देखी जा रही है।
सामान्य कार्यों के दौरान दिल की धड़कन 95-100 तक बढ़ जाती है। कई रोगियों में ये स्थिति कुछ समय के बाद ठीक हो जाती है, हालांकि कुछ में यह लंबे समय तक भी बनी रह सकती है। दिल की धड़कन का तेज बने रहना कई तरह की गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। जो लोग कोरोना से पहले घंटों काम करने पर भी नहीं थकते थे, उनका थोड़े समय में ही सांस फूलने लगता है, हार्ट रेट बढ़ जाता है। ऐसे में कम दूरी तक चलने जैसी छोटी-छोटी शारीरिक गतिविधियां करने पर भी दिल की धड़कन 95-100 तक बढ़ जाती है। जबकि कई रोगियों में ये स्थिति कुछ समय के बाद ठीक हो जाती है, कई अन्य में ये कुछ समय के लिए बनी रहती है। बता दें कि पिछले दो सालों से पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाली कोरोना महामारी का प्रकोप आज भी जारी है। हालांकि इन दो सालों के दौरान हमने मास्क पहनने, हाथों को बार-बार धोने और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचने को अपनी लाइफ का अहम हिस्सा बना लिया है।
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कोविड शरीर के कई अंगों को करता है प्रभावित -संक्रमण ठीक होने के बाद भी बना रहता है प्रभाव