नई दिल्ली । अगर उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने दोबारा सरकार बनाकर नया इतिहास रचा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम चार रिकॉर्ड दर्ज हो गए। इसके साथ कई मिथक भी टूटे हैं। 18 साल में यह पहली बार है, जब किसी मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव लड़ा। इससे पहले 2003 में सीएम रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से चुनाव लड़ा था। इस बार सीएम योगी गोरखपुर से चुनावी मैदान में थे। भाजपा की जीत के बाद यह तय है कि योगी आदित्यनाथ ही फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे। देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा, जब कोई मुख्यमंत्री अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता पर काबिज होगा। प्रदेश के 70 साल के इतिहास में अब तक ऐसा नहीं हुआ है। यह अलग बात है कि यूपी में ऐसे कई मुख्यमंत्री हुए, जो दोबारा सत्ता में आए, लेकिन उनमें से किसी ने पहले पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया था। इनमें संपूर्णानंद, चंद्र भानू गुप्ता से लेकर हेमवती नंदन बहुगुणा तक के नाम शामिल हैं। ये सभी मुख्यमंत्री रहते हुए दोबारा सत्ता में काबिज हुए, लेकिन किसी का पहला कार्यकाल एक साल का था तो किसी का दो या तीन साल का। यह भी एक संयोग ही है कि मायावती से लेकर अखिलेश यादव और खुद योगी आदित्यनाथ तक विधान परिषद के जरिए मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। मतलब इनमें से कोई भी नेता विधायक रहते हुए सीएम नहीं बना। 2003 में आखिरी बार मुलायम सिंह यादव मैनपुरी के गुन्नौर से मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव लड़े थे। चुनाव जीतने के बाद वह विधायक बने और फिर 2007 तक सत्ता संभाली। 2007 में मायावती मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन बिना चुनाव लड़े। 2012 में अखिलेश यादव और 2017 में योगी आदित्यनाथ भी विधान परिषद के रास्ते ही मुख्यमंत्री बने। इस बार योगी आदित्यनाथ खुद चुनाव लड़ रहे हैं।
दूसरी बार शपथ लेने वाले पहले सीएम
2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने थे। अब वह पांच साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। अब एक बार फिर उनके सत्ता में वापसी के आसार हैं। अगर वह सफल होते हैं तो वह न सिर्फ 1985 के बाद ऐसे पहले मुख्यमंत्री होंगे, जो अपनी पार्टी को लगातार दूसरी बार सत्ता दिलाएंगे। उत्तर प्रदेश के इतिहास में ऐसे पहले मुख्यमंत्री और राजनेता होंगे, जिनके नेतृत्व में विधानसभा का निर्धारित पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद कोई दल फिर सत्ता में वापसी करेगा। यदि वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हैं तो लगातार पांच साल पूरा करने के बाद दूसरी बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले भी पहले नेता होंगे।
नोएडा का मिथक तोड़ा
यूपी में अब तक माना जाता रहा है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं रहती है। उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती। इस कारण कुछ मुख्यमंत्री तो नोएडा जाने से बचते रहे। उद्घाटन या शिलान्यास को लेकर कुछ को कार्यक्रम के सिलसिले में वहां जाने की जरूरत पड़ी तो नोएडा न जाकर अगल-बगल या दिल्ली के किसी स्थान से इस काम को पूरा किया गया। योगी ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो नोएडा जाने से डरने के बजाय वहां कई बार गए। उन्होंने नोएडा जाने के बाद भी लगातार पांच साल मुख्यमंत्री रहकर एक मिथक तोड़ दिया, लेकिन अब देखना यह है कि वह सत्ता में वापसी का मिथक तोड़ पाते हैं या नहीं?
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सीएम योगी के नाम दर्ज होंगे बड़े रिकॉर्ड