नई दिल्ली । पंजाब में चली मिली प्रचंड जीत ने आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रीय फलक पर लाकर खड़ा दिया है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में बेशक आप के हक में एक राज्य आया हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे देश की सियासत के लिए बड़ा संकेत मान रहे हैं। माना जा रहा है लगातार जनाधार खो रही कांग्रेस से सियासत में जो जगह बन रही है, उसकी भरपाई आप कर सकती है। खासतौर से इसलिए भी कि आंदोलन से जन्मी आप किसी विशेष विचारधारा से नहीं बंधी है। वहीं, महानगरीय शहर दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप दूसरे क्षेत्रीय दलों से अलग है। तभी केजरीवाल के साथ किसी जाति व क्षेत्र से बंधे होने की मजबूरी नहीं है। सियासी विशेषज्ञों का मानना है कि पांच राज्यों के चुनावों से जिस नेता की शख्सियत सबसे ज्यादा चमकी है, वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं। दूसरी पार्टियों ने अपनी मुहिम अपने मजबूत कैडर व नेताओं की बड़ी फौज के सहारे आगे बढ़ाई। इस रणनीति में केजरीवाल पूरे चुनाव के दौरान अकेले डटे रहे। आप का पूरा फोकस पंजाब पर था। वहीं, पार्टी की चुनावी मुहिम का पूरा तानाबाना केजरीवाल पर केंद्रित था। चुनाव परिणाम आने के बाद माना जा रहा है कि केजरीवाल अब मुकम्मल तौर पर राष्ट्रीय फलक पर आ खड़े हुए हैं। पर अभी लंबा सियासी सफर तय करना है। लेकिन पंजाब व दिल्ली के बीच स्थित हरियाणा और पंजाब से घिरे हिमाचल प्रदेश में इनकी राह आसान हो सकती है। अभी पंजाब जीत के बाद आप राष्ट्रीय दल होने के करीब भी पहुंच गई है। आप रणनीतिकार आगे अपनी रणनीति भी इस दिशा में तैयार कर रहे हैं। हरियाणा के लिए आप रणनीतिकारों का मानना है कि जिस तरह के क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस का जनाधार सिमटा है उससे आप के लिए जगह बन रही है। वहीं, किसान आंदोलन का भी असर पंजाब की तरह हरियाणा चुनाव में भी दिख सकता है। पंजाब व दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने से हरियाणा पर सीधा असर डालना आसान होगा। वहीं, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जगह भी ली जा सकती है। आप की अगली चुनावी मुहिम के केंद्र में यही दोनों राज्य होंगे। पंजाब में कार्यकर्ताओं का बढ़ा आधार संगठन को मजबूती देने के साथ इसमें मददगार भी साबित होगा।
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फलक पर पहुंचने की दिशा में केजरी का एक और कदम