नई दिल्ली । निजामुद्दीन मरकज खोलने की अनुमति देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से पूछा कि नमाज अदा करने के लिए मरकज के पूरे परिसर को क्यों नहीं खोला जा सकता है। मरकज को पूरी तरह से खोलने की दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने केंद्र सरकार को इस मामले पर अपना स्पष्ट रुख पेश करने को कहा। पीठ ने उक्त सवाल तब जब केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता रजत नायर ने पीठ को सूचित किया कि शब-ए-बारात और रमजान त्योहार के दौरान मरकज में कुल लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति दी जाएगी।केंद्र सरकार ने कहा कि मरकज का पूरा परिसर खोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। पीठ ने इस पर नायर से कहा कि इस मामले में पहले तल को खोलने में कोई आपत्ति नहीं है तो फिर बाकी तल को खोलने में क्या समस्या है। पीठ ने यह भी कहा कि आपने खुद ही कहा कि कार्यक्रम के दौरान मरकज को खोलने से आपको आपत्ति नहीं है तो फिर हर दिन क्यों नहीं खोला जा सकता है। वहीं, वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने कहा कि कोरोना महामारी के उच्च संक्रमण काल में भी 50 लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति दी गई थी। वहीं, मस्जिद की प्रबंध कमेटी की तरफ से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता रेबिका जान ने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि वहां पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और मस्जिद परिसर को नहीं खोला जाना चाहिए। इन दलीलों का जवाब देते हुए केंद्र सरकार के अधिवक्ता रजत नायर ने कहा कि पहला तल खोलने की अनुमति दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने नमाज अदा करने के लिए अनुमति दी थी, जहां तक अन्य तलों की बात है यह अंतिम राहत है और इसे अंतरिम स्तर पर नहीं दी जा सकती है।
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नमाज अदा करने के लिए पूरी तरह क्यों नहीं खोला जा सकता है मरकज