यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लास्गो के शोधकर्ताओं ने कहा है कि गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रावायलट बी के कम एक्सपोजर और लर्निंग डिसेबिलिटी के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध देखने को मिला। शोधकर्ताओं ने स्कॉटलैंड में स्कूल जाने वाले बच्चों का परीक्षण किया और पाया कि गर्भावस्था के दौरान कम धूप लेने से बच्चों की सीखने की प्रवृति कम हो गयी। यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लास्गो के इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ऐंड वेलबीइंग के डायरेक्टर और स्टडी के मुख्य लेखक जिल पेल ने कहा, 'लर्निंग डिसेबिलिटी सिर्फ बच्चे नहीं बल्कि उनकी फैमिली को भी जीवनभर के लिए प्रभावित कर सकती है। हमारी स्टडी की अहमियत यह है कि यह बच्चों में लर्निंग डिसेबिलटी से निपटने के लिए आसान और संभावित तरीकों के बारे में बताती है।' उन्होंने आगे कहा कि गर्भावस्था के दौरान विटमिन डी के सप्लिमेंट्स लेने से लर्निंग डिसेबिलिटी से निपटा जा सकता है या नहीं, इसका परीक्षण किया जाना जरूरी है। यूवीबी यानी अल्ट्रावायलट बी को स्किन पर लाल निशान पड़ने और सनबर्न का मुख्य कारण माना जाता है। लेकिन साथ ही यह शरीर में विटमिन डी के प्रॉडक्शन में भी मदद करता है। प्रसव से पहले भ्रूण का तेजी से विकास होता है और उसके अंगों का भी विस्तार होते है ताकि वह बाहरी वातावरण के हिसाब से संवेदनशील हो जाए। गर्भावस्था के दौरान धूप लेने से विटमिन डी का प्रॉडक्शन होता है जो भ्रूण के मस्तिष्क के सामान्य विकास में मदद करता है।शोधकर्ताओं के अनुसार, चूंकि सर्दियों के दौरान महिलाएं कम धूप सेंकती हैं इसलिए उस वक्त विटमिन डी की कमी सबसे अधिक होती है। यह कमी खासकर स्कॉटलैंड जैसे देश में अधिक देखी जाती है। वहां के निवासियों में यूके और उसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मुकाबले विटमिन डी की दोगुना कमी होती है। इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि अगर गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीनों में कम धूप सेंकी जाए तो उससे लर्निंग डिसेबिलिटी होने का अंदेशा अधिक होता है। उन्हीं महीनों के दौरान अल्ट्रावायलट बी के कम एक्सपोजर से अधिक दुष्प्रभाव सामने आते हैं।
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गर्भावस्था में धूप कम सेंकने के ये है खतरे -बच्चे हो सकते हैं लर्निंग डिसेबिलिटी के शिकार