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 अखिलेश यादव और आजम खान की असमंजस, सांसदी छोड़े या विधायकी? -नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सीट से देना होता है इस्तीफा 

 अखिलेश यादव और आजम खान की असमंजस, सांसदी छोड़े या विधायकी? -नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सीट से देना होता है इस्तीफा 

नई दिल्ली । यूपी में विधानसभा चुनाव में भगवा पार्टी के द्वारा जीत का परचम फहराने के बाद अब दूसरे नंबर की पार्टी रही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और सपा नेता आजम खान के सामने नई समस्या खड़ी हो गई। दरअसल,  अब लोकसभा सांसद होने के साथ-साथ विधायक भी हैं। अखिलेश यादव आजमगढ़ से लोकसभा सांसद हैं और करहल सीट से विधानसभा चुनाव भी जीत चुके हैं। इसी तरह आजम खान भी रामपुर से लोकसभा सांसद हैं और रामपुर सीट से विधानसभा चुनाव भी उन्होंने जीत लिया है। हालांकि, कानूनन दोनों एक ही पद पर रह सकते हैं। अगर दोनों लोकसभा सांसद बने रहते हैं तो उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना होगा। 
संविधान में एक व्यक्ति लोकसभा सांसद या राज्यसभा सांसद रहते हुए विधानसभा का चुनाव लड़ सकता है। इसी तरह कोई विधायक रहते हुए भी लोकसभा का चुनाव लड़ सकता है, लेकिन अगर वो जीत जाता है तो उसे एक पद से इस्तीफा देना होता है। कोई भी व्यक्ति एक समय में दो पदों पर बना नहीं रह सकता। यहां तक कि अगर कोई दो सीट से विधायक या सांसद भी बन जाता है तो उस स्थिति में भी एक सीट छोड़नी पड़ती है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता बताते हैं कि चुनाव खत्म होने के बाद चुनाव आयोग विजयी उम्मीदवार को नोटिफेशन जारी करता है। वो बताते हैं कि परंपरा के अनुसार लोकसभा सदस्य रहते हुए विधायक पद की शपथ ग्रहण नहीं कर सकते। अगर ऐसा करते हैं तो उन्हें लोकसभा स्पीकर को इसकी सूचना देनी होगी। अगर उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है तो नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन बार उनकी सदस्यता अपने आप ही खत्म हो सकती है। वो बताते हैं कि संविधान निर्माताओं ने कभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं की थी, लेकिन इसके अलग-अलग पहलुओं पर अलग-अलग संवैधानिक प्रावधान हैं।
संविधान के अनुच्छेद 101(2) के मुताबिक, अगर कोई लोकसभा का सदस्य विधानसभा का चुनाव लड़ता है और जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सदन से इस्तीफा देना होता है। इसी तरह अगर किसी विधानसभा का सदस्य लोकसभा का सदस्य बन जाता है तो उसे भी 14 दिन के भीतर इस्तीफा देना होता है। ऐसा नहीं करने पर उसकी लोकसभा की सदस्यता अपने आप खत्म हो जाती है।
इसी तरह अगर कोई लोकसभा का सदस्य राज्यसभा का सदस्य भी बन जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 10 दिन के भीतर एक सदन से इस्तीफा देना होता है। संविधान के अनुच्छेद 101(1) और रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट की धारा 68(1) में इसका प्रावधान है। 
वहीं, अगर कोई व्यक्ति दो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ता है और दोनों ही जगह से जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सीट से इस्तीफा देना होता है। यही बात विधानसभा चुनाव में भी लागू होती है। दो सीट से जीतने पर कोई सीट 14 दिन के भीतर छोड़नी पड़ती है। 
चुनाव जीतने के बाद विधायकों को विधानसभा में विधायक पद की शपथ लेनी होती है। विराग गुप्ता बताते हैं कि अखिलेश और आजम खान अगर विधानसभा की शपथ लेते हैं तो उन्हें पहले लोकसभा स्पीकर को इस बारे में बताना होगा। लेकिन यहां एक पेंच है कि उन्हें 14 दिन के भीतर किसी एक सदन से इस्तीफा देना होगा, जबकि शपथ को लेकर कोई समय सीमा नहीं है। अगर अखिलेश और आजम खान विधानसभा में विधायक पद की शपथ लेते हैं तो उन्हें लोकसभा की सीट छोड़नी होगी।
अगर अखिलेश और आजम खान लोकसभा से इस्तीफा नहीं देते हैं और विधायकी पद छोड़ते हैं तो उनकी सीट पर दोबारा चुनाव कराए जाएंगे। विराग गुप्ता के मुताबिक, 1996 में रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट में संशोधन किया गया था, जिसकी धारा 151ए के मुताबिक खाली हुई सीट पर चुनाव आयोग को 6 महीने के भीतर चुनाव कराने की कानूनी व्यवस्था तय की गई है। इसलिए अखिलेश यादव और आजम खान जिस भी सीट से इस्तीफा देंगे, उस सीट पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराने होंगे। अगर दोनों लोकसभा छोड़ते हैं तो लोकसभा सीट पर उपचुनाव होंगे और विधानसभा छोड़ते हैं तो विधानसभा सीट पर उपचुनाव होंगे।
लोकसभा में समाजवादी पार्टी के पास 5 सीट हैं। अगर अखिलेश और आजम दोनों यहां से इस्तीफा देते हैं तो लोकसभा में सपा सांसदों की संख्या घटकर 3 पर पहुंच जाएगी। इसी तरह यूपी विधानसभा में सपा ने 111 सीटें जीतीं हैं और अगर दोनों यहां से इस्तीफा देते हैं तो विधानसभा में दो सीटें और कम हो जाएंगी। हालांकि, इस्तीफा देने के बाद यहां उपचुनाव कराए जाएंगे।
 

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