नई दिल्ली । केंद्र सरकार तीनों निगमों के एकीकरण के अलावा दिल्ली नगर निगम अधिनियम (डीएमसी एक्ट) में कई बदलाव करने की कवायद में जुटी है। केंद्र महापौर को मुख्यमंत्री की तरह अधिकार देने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा नगर निगम में स्थायी समिति खत्म करने और पार्षदों को वेतन देने का भी प्रावधान करने की सोच रही है। दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम (डीएमसी एक्ट) में परिवर्तन कराने के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट में शामिल हैं। प्रदेश भाजपा के नेता केंद्र सरकार से उस ड्राफ्ट के अधिकतर प्रावधानों को लागू करने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली नगर निगम के आयुक्त रहे और दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग के तत्कालीन आयुक्त राकेश मेहता ने वर्ष 2014 में दिल्ली नगर निगम अधिनियम (डीएमसी एक्ट) में परिवर्तन कराने की तैयारी शुरू की थी। इस कड़ी में उन्होंने एक ड्राफ्ट तैयार किया था। इस बारे में प्रदेश भाजपा के कई वरिष्ठ नेता वाकिफ हैं। सूत्रों के अनुसार, इन वरिष्ठ नेताओं ने केंद्र से ड्राफ्ट के अधिकतर प्रावधानों लागू करने की मांग की है। सूत्रों के बताया कि ड्राफ्ट में पांच साल के दौरान तीन महापौर बनाने और प्रत्येक महापौर का 20 माह का कार्यकाल का सुझाव है। पहला महापौर महिला, दूसरा अनुसूचित जाति का और तीसरा किसी भी पार्षद बनाने का सुझाव है। इसके अलावा ड्राफ्ट में महापौर को शक्तिशाली बनाने के लिए भी कई सुझाव हैं। इनमें महापौर को नगर निगम का सर्वेसर्वा बनाने की बात की गई है। ड्राफ्ट में महापौर को वित्तीय अधिकार एवं अधिकारियों का तबादला करने और उनकी कार्य रिपोर्ट लिखने का अधिकार देने का भी सुझाव है। इस कड़ी में स्थायी समिति की व्यवस्था खत्म करके महापौर की सहायता के लिए विभागों का कामकाज देखने के लिए 10-12 पार्षदों की एक टीम (मंत्रिमंडल) की व्यवस्था करने पर जोर दिया है।
रीजनल नार्थ
दिल्ली के मेयर को मिल सकते हैं सीएम जैसे अधिकार