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यूपी में हर चौथा विधायक ठाकुर या ब्राह्मण, यादव से ज्यादा कुर्मी जीते -पिछली बार से ज्यादा मुस्लिम विधायक भी इस बार जीतकर आए हैं  -वैश्य समुदाय का मात्र एक विधायक सपा से, जाट समुदाय के 15 विधायक जीते

यूपी में हर चौथा विधायक ठाकुर या ब्राह्मण, यादव से ज्यादा कुर्मी जीते -पिछली बार से ज्यादा मुस्लिम विधायक भी इस बार जीतकर आए हैं  -वैश्य समुदाय का मात्र एक विधायक सपा से, जाट समुदाय के 15 विधायक जीते

लखनऊ। यूपी चुनाव में सभी पार्टियों ने अपने-अपने हिसाब से सियासी समीकरण को साधने का दांव चला था। जाति आधार पर टिकट बंटवारे किए गए थे। बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला योगी आदित्यनाथ के लिए हिट रहा तो सवर्ण समुदाय के लिए सुपरहिट रहा है। यूपी चुनाव नतीजे से योगी सरकार के सत्ता में वापसी के साथ-साथ ब्राह्मण समुदाय से सबसे ज्यादा विधायक जीतकर आए हैं तो दूसरे नंबर पर ठाकुर विधायकों की संख्या हैं। वहीं, पिछली बार से ज्यादा मुस्लिम विधायक इस बार जीतकर आए हैं।
  यूपी की सियासत में ब्राह्मणों का दबदबा पूरी तरह से काम है। इस बार 403 सीटों में से 52 ब्राह्मण विधायक चुनकर आए हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 46 बीजेपी से हैं जबकि पांच सपा और एक कांग्रेस से जीत दर्ज की है। ऐसे ही 49 विधायक ठाकुर समाज से जीतकर आए है, जिनमें बीजेपी गठबंधन से 43, सपा से 4, बसपा से एक और जनसत्ता पार्टी से राजा भैया हैं। इस तरह से सूबे में हर आठवां विधायक ब्राह्मण है जबकि चौथा विधायक ठाकुर या ब्राह्मण है। यूपी में ओबीसी समुदाय में इस बार सबसे ज्यादा कुर्मी समुदाय से विधायक चुने गए हैं जबकि ओबीसी में उनकी आबादी यादव समुदाय से कम है। सूबे में 41 कुर्मी विधायक जीते हैं, जिनमें 27 बीजेपी गठबंधन से, 13 सपा गठबंधन से और एक कांग्रेस पार्टी से जीतकर सदन पहुंचे। वहीं, इस बार यादव विधायक की कुल संख्या सदन में 27 है, जिसमें से 24 सपा और तीन बीजेपी से जीत कर आए हैं। 
सूबे में भले ही सपा गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब नहीं रही हो, लेकिन मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व बढ़ गया। इस बार मुस्लिम विधायकों की संख्या 34 पर पहुंच गई है, जिसमें 32 सपा से और दो आरएलडी से जीते हैं। वहीं, 2017 के चुनाव में 23 मुस्लिम विधायक ही जीतकर आए थे जबकि इसबार बढ़कर 34 विधायक हो गए हैं। हालांकि, मुस्लिमों की आबादी के लिहाज से ये संख्या कम है। उत्तर प्रदेश में दलितों में इस बार बीजेपी ने फिर बाजी मारी है और खासकर जाटव समुदाय के बीच। सबसे ज्यादा बीजेपी से जाटव समुदाय के विधायक जीते हैं, जिनकी संख्या 19 है जबकि 10 सपा गठबंधन से। बसपा ने सबसे ज्यादा जाटों का वोट पाया लेकिन उनका एक भी विधायक नहीं जीत सका। दलित में जाटवों के बाद दूसरी सबसे बड़ी बिरादरी पासी है। बीजेपी से 18 पासी विधायक बने हैं तो सपा से 8 और एक जनसत्ता पार्टी से जीत दर्ज की है। बनिया और खत्री बिरादरी में बीजेपी का फिर जलवा रहा। इन दोनों समुदाय के 22 में से 21 बीजेपी से जीते हैं जबकि एक सपा से जीत दर्ज की है। पिछड़ी जाति में लोध एक बार फिर बीजेपी के साथ खड़े दिखाई दिए। लोध समुदाय से कुल 18 लोग जीतकर सदन पहुंचे हैं, जिसमें से 15 बीजेपी से जबकि तीन सपा से जीते हैं। 
पश्चिमी यूपी में सियासी तौर पर दबदबा रखने वाली जाट समुदाय एक बार फिर बड़ी तादाद में जीत कर आए हैं। सपा और बीजेपी लगभग बराबर जाट समुदाय ने जीत दर्ज की है। इस बार कुल 15 जाट चुनकर आए हैं, जिसमें 8 बीजेपी से और 7 सपा गठबंधन से विधायक बने हैं। गैर यादव ओबीसी में बीजेपी ने फिर बाजी मारी है। मौर्य, कुशवाहा, शाक्य और सैनी में बीजेपी ने 12 सीटें जीती हैं जबकि सपा गठबंधन को सिर्फ 2 सीटें मिली है। अति पिछड़ी जातियों में बीजेपी 7 और सपा को तीन सीटें मिली। निषाद, बिंद कश्यप मल्लाह इन जातियों में भी सबसे ज्यादा 6 विधायक बीजेपी गठबंधन से सदन में पहुंचे हैं जबकि सपा से दो विधायक जीते है। कलवार, तेली, सोनार जातियों से भी बीजेपी को सबसे ज्यादा 6 सीटें जीती जबकि 1 सीट समाजवादी पार्टी गठबंधन को मिली। गुर्जर बिरादरी से कुल 7 विधायक जीते हैं, जिनमें पांच बीजेपी से और दो सपा से जीते हैं। राजभर बिरादरी में समाजवादी पार्टी गठबंधन ने बाजी मारी है। सपा गठबंधन से तीन राजभर समुदाय के विधायक जीत कर आए हैं जबकि बीजेपी से एक विधायक को जीत मिली। भूमिहार बिरादरी के 5 विधायक बने हैं, जिसमें से चार बीजेपी और एक सपा गठबंधन से है। दलितों की धोबी बिरादरी से सभी 4 सीटें बीजेपी ने जीती हैं जबकि खटीक समाज से 5 जीते हैं, जिसमें से 4 बीजेपी से और एक सपा गठबंधन से हैं। कायस्थ ने 3 सीटें जीती हैं सभी बीजेपी से जीते हैं। दलित वाल्मीकि से एक वह सीट बीजेपी को मिली है जबकि एक सिख जीता है वह भी बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे हैं।
 

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