नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को तगड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट ने शरद यादव को दिल्ली में मिले सरकारी बंगले को 15 दिन के भीतर खाली करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि शरद यादव को 2017 में राज्यसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, इसलिए बंगले पर कब्जा बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की पीठ ने यादव को निर्देश दिया कि वह ' 7 तुगलक रोड स्थित बंगले को 15 दिनों के भीतर सरकार को सौंप दें' और कहा कि उन्हें राज्यसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किए चार साल से अधिक समय बीत चुका है। हाई कोर्ट ने कहा कि वह 15 दिसंबर, 2017 को एकल न्यायाधीश की ओर से पारित अंतरिम आदेश को जारी रखने के लिए इच्छुक नहीं है, जिसमें याचिका पर फैसला होने तक उन्हें तुगलक रोड पर अपने आधिकारिक निवास के उपयोग सहित एक सांसद की आधिकारिक सुविधाओं और उसका लाभ उठाने की अनुमति दी गई थी। हालांकि, जून 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को आंशिक रूप से संशोधित करते हुए कहा था कि वह अपने आधिकारिक आवास को बरकरार रख सकते हैं लेकिन वेतन और अन्य लाभों के हकदार नहीं होंगे। पीठ ने कहा कि जब तक यादव की अयोग्यता को खारिज नहीं किया जाता है, तब तक उन्हें सरकारी आवास पर कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य के पदाधिकारियों को उनके कार्यों का निर्वहन करने में सक्षम बनाने के लिए आवासीय आवास सहित अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। यादव साल 2017 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे।
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दिल्ली हाई कोर्ट से शरद यादव को झटका 15 दिन के भीतर सरकारी बंगला खाली करने के निर्देश