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पंजाब में कांग्रेस के सामने अब समस्या नया अध्यक्ष ढूंढ़ने की - कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांचों राज्यों की स्थानीय इकाइयों के अध्यक्षों से इस्तीफे मांगे

पंजाब में कांग्रेस के सामने अब समस्या नया अध्यक्ष ढूंढ़ने की - कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांचों राज्यों की स्थानीय इकाइयों के अध्यक्षों से इस्तीफे मांगे

नई दिल्ली । कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिली करारी हार के बाद सख्त कार्रवाई की है। उन्होंने पांचों राज्यों की स्थानीय इकाइयों के अध्यक्षों से इस्तीफे मांग लिए हैं। जाहिर तौर पर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी इनमें शामिल हैं क्योंकि पंजाब में तो कांग्रेस का इस बार अब तक के इतिहास में सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। पार्टी को वहां 117 में से मात्र 18 सीटें ही मिल सकीं, जबकि पार्टी दोबारा सत्ता में लौटने की उम्मीद कर रही थी। ऐसे में अब पार्टी के सामने राज्य में खुद को दोबारा खड़ा करने की चुनौती भी आन पड़ी है। इसीलिए अगले अध्यक्ष का चुनाव अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है और इस बाबत स्थानीय नेता अब पार्टी नेतृत्त्व को अपने अहम मशविरे दे रहे हैं। कांग्रेस में करीब एक साल से गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल जैसे 23 नेता राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्त्व और संगठन के ढांचे में बदलाव की आवाज उठा रहे हैं। इन नेताओं को जी-23 कहा जा रहा है। अब पंजाब कांग्रेस के स्थानीय नेता भी राज्य के संबंध में जी-23 के नेताओं से सुर मिला रहे हैं। 
हालांकि अभी इनमें अधिकांश खुलकर सामने नहीं आए हैं। ऐसे ही एक नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, पंजाब में अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का चयन बहुत सावधानी से करना होगा। इन पर जाट, हिंदू और अन्य पिछड़ा वर्ग के बीच संतुलन साधते हुए नए नेताओं का चयन किया जाना चाहिए। एक वरिष्ठ नेता कहते हैं ‎कि नेतृत्त्व अब पूरी तैयारी के साथ अगले पदों पर नेताओं का चयन करे। सबसे विचार-विमर्श के बाद और जहां तक हमारे जैसे स्थानीय नेताओं का सवाल है तो हम चाहते हैं कि किसी वरिष्ठ नेता को ये प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए क्योंकि इस वक्त अनुभवी हाथ ही पार्टी को इस स्थिति से बाहर निकाल सकते हैं। पंजाब कांग्रेस पूरे संगठन में आमूल-चूल बदलाव की मांग भी वहां से उठ रही है।  पार्टी के नेता की मानें तो जब राष्ट्रीय नेतृत्त्व नवजोत सिंह सिद्धू को कमान सौंपी तो यह सिर्फ ऊपरी स्तर पर किया गया बदलाव ही था। संगठन में मूलभूत समस्याएं सिद्धू के नेतृत्त्व के दौरान भी बनी रहीं। इसीलिए अब जबकि फिर बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो रही है, तो इस पहलू पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। 
वैसे सूत्र बताते हैं कि अभी राष्ट्रीय नेतृत्त्व ने स्थानीय नेताओं के साथ चर्चा की प्रक्रिया शुरू ही की है। इसके तहत बुधवा को राज्य के दोआबा और माझा इलाकों के उन नेताओं से बातचीत की जानी है, जो बतौर उम्मीदवार चुनाव में उतरे थे। हालांकि इसी बीच, प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दावेदारों के नाम भी सामने आने लगे हैं। इनमें प्रताप सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त बाजवा, रवनीत बिट्‌टू, विजय इंदर सिंगला और भारत भूषण आशू के नाम प्रमुख हैं। ऐसे में देखना होगा कि राष्ट्रीय नेतृत्त्व इन्हीं में से किसी को चुनता है या कोई नया नाम लेकर आता है।

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