नई दिल्ली । खाद्य तेल उद्योग के निकाय सीओओआईटी ने फसल वर्ष 2021-22 के रबी सत्र में देश का सरसों का उत्पादन 29 प्रतिशत बढ़कर 109.50 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है। रबी सत्र में उगाए जाने वाले सरसों दाना (तिलहन) का उत्पादन पिछले वर्ष 85 लाख टन हुआ था। सीओओआईटी ने कहा कि केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन (सीओओआईटी) ने अपने 42वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान सरसों के उत्पादन के अनुमानों को अंतिम रूप दिया। यह सम्मेलन कुछ दिनों पहले ही राजस्थान के भरतपुर में आयोजित किया गया था। सीओओआईटी ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021-22 में सरसों का उत्पादन 109.5 लाख टन होने का अनुमान है। सरसों खेती का रकबा 87.44 लाख हेक्टेयर आंका गया है, जबकि औसत उपज 1,270 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने का अनुमान लगाया गया है। सीओओआईटी के एक अधिकारी ने कहा हमने पूरे भारत में विभिन्न टीमों द्वारा व्यापक क्षेत्र का दौरा करने के बाद इस रबी सत्र में सरसों के उत्पादन के अनुमान को अंतिम रूप दिया है। सरसों का उत्पादन रिकॉर्ड 109.5 लाख टन तक बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सरसों के उत्पादन में संभावित वृद्धि को देखते हुए सरसों तेल का उत्पादन भी अधिक होगा। इससे देश के कुल खाद्य तेल आयात में कमी आ सकती है। किसानों ने इस रबी सत्र के दौरान सरसों की फसल का रकबा बढ़ाया है क्योंकि उन्हें पिछले साल की फसल से बेहतर कीमत मिली है। सरसों दाना, रबी के मौसम में ही उगाया जाता है। इसकी बुवाई अक्टूबर से शुरू होती है, जबकि कटाई मार्च में शुरू होती है। सरसों राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है। राजस्थान देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
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वर्ष 2021-22 में सरसों का उत्पादन 29 फीसदी बढ़ा