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ब्रीफकेस की जगह बहीखाता बना बजट - लाला मखमली कपड़े में लपेटकर लाईं बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

ब्रीफकेस की जगह बहीखाता बना बजट - लाला मखमली कपड़े में लपेटकर लाईं बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

मोदी सरकार टू का पहला आम बजट आज पेश करने देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद पहुंची तो उनके हाथ में लाल रंग के ब्रीफकेस की जगह लाल रंग का मखमली पैकेट था जिसे भारतीय संदर्भ में बहीखाता कहते हैं। निर्मला ने अभी तक चली आ रही प्रथा को पूरी तरह बदल दिया। पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करने से पहले जब वित्त मंत्री निर्मला मंत्रालय से बाहर निकलीं तो उनके हाथ में वित्त मंत्रियों के हाथ में हर बार दिखने वाला लाल रंग का ब्रीफकेस नहीं था। निर्मला के हाथ में ब्रीफकेस की जगह लाल रंग का अशोक स्तंभ चिह्न वाला एक पैकेट था। ऐसा पहली बार हुआ जब ब्रीफकेस की जगह बजट को एक अलग पैकेट में रखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश को अगले साल के लिए क्या देने वाली हैं, उसके दस्तावेज उन्होंने परंपरागत तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ब्रीफकेस में नहीं रखे, बल्कि इस बार बजट की पटकथा को मखमली लाल कपड़े से कवर किया गया है। इस तरह मोदी सरकार ने बजट से जुड़ी अंग्रेजों की पुरानी परंपरा को भी खत्म कर दिया है।
बैग में बजट की परंपरा 1733 में तब शुरू हुई थी जब ब्रिटिश सरकार के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल बजट पेश करने आए थे और उनके हाथ में एक चमड़े का थैला था। इस थैले में ही बजट से जुड़े दस्तावेज थे। चमड़े के इस थैले को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता था, उसी के आधार पर बाद में इस प्रक्रिया को बजट कहा जाने लगा। लाल सूटकेस का इस्तेमाल पहली बार 1860 में ब्रिटिश बजट चीफ विलिमय ग्लैडस्टोन ने किया था। इसे बाद में ग्लैडस्टोन बॉक्स भी कहा गया और लगातार इसी बैग में ब्रिटेन का बजट पेश होता रहा। लंबे समय बाद इस बैग की स्थिति खराब होने के बाद 2010 में इसे आधिकारिक तौर पर रिटायर किया गया।
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम ने कहा है कि यह भारतीय परंपरा है जो गुलामी व पश्चिम के विचारों से भारत की आजादी को प्रदर्शित करती है। सुब्रमण्यम ने ये भी कह दिया कि यह बजट नहीं, बही-खाता है। यानी फ्रैंच भाषा के बुजेट शब्द के आधार पर लैदर बैग और सूटकेस में पेश किए जाने वाले आर्थिक खाके को बजट का जो नाम दिया गया उसे अब बही-खाता कहा जा रहा है।
बता दें कि आजादी के बाद देश का पहला बजट तत्कालीन फाइनैंस मिनिस्टर आरके शानमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर, 1947 को पेश किया था। वह तब बजट के दस्तावेज लेदर बैग में लेकर आए थे। ज्ञात हो कि संसद में बजट भाषण से पहले वित्त मंत्री इस ब्रीफकेस के साथ मीडिया के सामने पोज देते नजर आते रहे हैं। लेकिन इस बार इस प्रथा को वित्त मंत्री निर्मला ने बदल दिया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि संविधान में 'बजट' शब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया गया है। इसे वार्षिक वित्तीय विवरण कहा गया है। 'बजट' शब्द भी इसी बैग से जुड़ा हुआ है। इतने सालों में इस बैग का आकार लगभग बराबर ही रहा। हालांकि, इसका रंग कई बार बदला है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 में परिवर्तनकारी बजट पेश किया तो वह काला बैग लेकर पहुंचे थे। जवाहरलाल नेहरू, यशवंत सिन्हा भी काला बैग लेकर बजट पेश करने पहुंचे थे, जबकि प्रणब मुखर्जी लाल ब्रीफकेस के साथ पहुंचे थे। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के हाथों में ब्राउन और रेड ब्रीफकेस दिखा था। इस साल अंतरिम बजट पेश करने वाले कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल लाल ब्रीफकेस के साथ सदन में पहुंचे थे। 

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