लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी (सपा) को करारी शिकस्त दी है। लेकिन अगले कुछ महीनों में यूपी में दो और चुनावी मुकाबले होने वाले हैं। पहले विधान परिषद चुनाव में टक्कर होगी, तब कुछ ही महीनों बाद राज्यसभा चुनाव में भी बेहद दिलचस्प मुकाबला दिखने को मिलेगा है। यूपी के कोटे से 11 सीटें जुलाई में खाली होने जा रही हैं, जिन पर चुनाव होगा। इसमें से 10 पर नतीजे लगभग साफ हैं। इनमें से 7 सीटों पर बीजेपी की जीत पक्की हैं, तब 3 सीटें सपा खाते में जाए गी। लेकिन 11वीं सीट पर कौन बाजी मारेगा यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।
जो 11 सीटें खाली होने जा रही हैं, उनमें से 5 अभी बीजेपी के पास हैं, तीन सपा, दो बसपा और एक कांग्रेस के पास है। यूपी विधानसभा में 403 सीटें हैं। इस हिसाब से राज्यसभा के एक उम्मीदवार की जीत के लिए कम से कम 37 विधायकों के वोट की जरूरत होगी। भाजपा गठबंधन के पास 273 विधायक हैं, इस लिहाज से एनडीए को सात सीटें आसानी से मिलेगी।
सपा गठबंधन की बात करें,तब 125 विधायकों के साथ अखिलेश यादव के तीन प्रत्याशी आसानी से जीत हासिल करने वाले हैं। वहीं 11वीं सीट के लिए मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा, क्योंकि बीजेपी और सपा को इसके लिए राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के समर्थन की जरूरत होगी। विधानसभा में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक और कांग्रेस के पास 2-2 और बसपा के पास एक सीट है। देखना रोचक होगा कि कौन सी पार्टी किसके साथ जाती है।
जो 11 सांसद रिटायर हो रहे हैं,उसमें बीजेपी के जफर इस्लाम, शिव प्रताप शुक्ला, संजय सेठ, सुरेंद्र नागर और जय प्रकाश निषाद शामिल हैं। वहीं, सपा के सुखराम सिंह यादव, विशंभर प्रसाद निषाद और रेवती रमण सिंह भी रिटायर होने जा रहे हैं। बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, अशोक सिद्धार्थ और कांग्रेस के कपिल सिब्बल का कार्यकाल भी पूरा होने जा रहा है। यूपी से 31 राज्यसभा सांसद चुने जाते हैं। मौजूदा समय में बीजेपी के पास 22, सपा के पास 5, बसपा के पास तीन और कांग्रेस के पास एक सीट है।
रीजनल नार्थ
विधानसभा के बाद राज्यसभा चुनाव में दिखेगी भाजपा-सपा के बीच कांटे की टक्कर