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 कक्षा 12वीं के अंकों के आधार पर नहीं होगा केंद्रीय विवि के कॉलेजों में दाखिला -इसी साल से एडमिशन के लिए होगा कॉमन एंट्रेंस टेस्ट

 कक्षा 12वीं के अंकों के आधार पर नहीं होगा केंद्रीय विवि के कॉलेजों में दाखिला -इसी साल से एडमिशन के लिए होगा कॉमन एंट्रेंस टेस्ट

नई दिल्ली । कक्षा 12वीं के अंकों के आधार पर अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों के महाविद्यालयों में दाखिला नहीं मिलेगा। हालांकि इसके लिए न्यूनतम अंकों की जरूरत पड़ेगी लेकिन ज्यादा नंबर लाने वालों को दाखिले में मिल रही प्रथम वरीयता अब खत्म हो जाएगी क्योंकि यूजीसी (यूजीसी) अब सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए एक परीक्षा (सीयूईटी) आयोजित कर रहा है। इस परीक्षा में पास होने वाले परीक्षार्थियों को ही डीयू, बीएचयू सहित अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएशन में दाखिला मिलेगा। सोमवार को इस संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने घोषणा की।
यूजीसी ने बताया कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट यानी सीयूईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला मिलेगा। देश भर में जितने भी केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं, सबके लिए एक ही परीक्षा आयोजित की जाएगी। इससे पहले 12वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर दाखिला मिलता था, जिससे राज्य बोर्डों और ग्रामीण छात्रों को देश के प्रतिष्ठिक कॉलेजों में दाखिला मिलने में दिक्कत होती थी।
यूजीसी ने कहा है कि 2022-23 सत्र से ही कॉमन एंट्रेंस टेस्ट लिया जाएगा। इस परीक्षा के आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालय और इससे अंगीभूत कॉलेजों में छात्रों को ग्रेजुएशन में एडमिशन मिलेगा। हालांकि केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अपने विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए बोर्ड परीक्षा में प्राप्त एक न्यूनतम प्रतिशत को अपनाने का अधिकार होगा। यानी विश्वविद्यालय यह तय कर सकता है कि 12वीं में इतने प्रतिशत से कम अंक वाले छात्रों को हम दाखिला नहीं देंगे। हालांकि तब भी उसे सीयूईटी देना होगा। ऑडियो-विजुअल या परफॉर्मिंग आर्ट या एक्स्ट्रा करिकुलर और स्पोट्र्स कैटगरी में दाखिले के लिए यूनिवर्सिटी प्रैक्टिकल या ट्रायल को आधार बना सकती है।
यूजीसी ने इस प्रवेश परीक्षा के नाम में से केंद्रीय विश्वविद्यालय शब्द को हटा दिया ताकि अगर डीम्ड या निजी विश्वविद्यालय चाहे तो इस परीक्षा में शामिल हो सकता है और इसी परीक्षा के आधार पर अपने संस्थानों में छात्रों को दाखिला दे सकता है। कंप्यूटर आधारित यह परीक्षा जुलाई के पहले सप्ताह में आयोजित की जाएगी और इसका सिलेबस सीबीएसई में एनसीईआरटी पर आधारित होगा। 12वीं के नंबर को दाखिले में भार नहीं देने के फैसले पर यूजीसी के नवनियुक्त चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने बताया कि यह कोई नई चीज नहीं है। उन्होंने कहा कि आईआईटी अपने यहां दाखिले के लिए जेईई की परीक्षा पहले से ले रही है। इससे विविधता आती है। 
जगदीश कुमार ने कहा, यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए यही बात सही है क्योंकि इसके लिए एनसीईआरटी सिलेबस को आधार बनाया गया। इससे सभी छात्र एक ही तरह से तैयारी कर सकते हैं। कुमार ने कहा कि कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से सभी छात्रों को एक समान मौका मिलेगा। चाहे उसने किसी भी बोर्ड से परीक्षा क्यों न दी हो, चाहे वह सुदूर गांव या उत्तर पूर्व के ही क्यों न हो, उन्हें समान मौका मिलेगा। यह परीक्षा उन माता-पिता के आर्थिक बोझ को भी कम करेगा जो अपने बच्चे के लिए कई परीक्षाओं की फीस का भार उठाने में सक्षम नहीं है। जगदीश कुमार ने कहा 2022-23 सत्र से देश के सभी संस्थान चाहे वह स्टेट यूनिवर्सिटी हो, निजी यूनिवर्सिटी हो या डीम्ड यूनिवर्सिटी हो सीईयूटी के स्कोर को आधार बना अपने संस्थान में छात्रों को दाखिला दे सकते हैं। जगदीश कुमार ने बताया कि परीक्षा दो शिफ्ट में आयोजित होगी। पहली शिफ्ट में अनिवार्य लैंग्वेज टेस्ट, दो दिए गए विषय और सामान्य परीक्षा होगी। दूसरी शिफ्ट में चार विषय होंगे और एक भाषा की परीक्षा होगी। यह भाषा 19 भाषाओं में से एक होगी जिसे विद्यार्थी खुद चुनेंगे। जगदीश कुमार ने बताया कि इस परीक्षा से आरक्षण नीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दाखिले के लिए आपको सीयूईटी (सीयूईटी) के स्कोर की जरूरत होगी। अगर कोई विश्वविद्यालय स्थानीय छात्रों के लिए सीटों का एक निश्चित प्रतिशत सुरक्षित रखता है तो वह भी प्रभावित नहीं होगा। इसमें अंतर केवल इतना होगा कि अन्य सभी छात्रों की तरह स्थानीय छात्र या आरक्षित वर्ग के छात्र भी सामान्य प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही आएंगे।
 

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