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अगले चार-पांच सालों में रोजगार के सबसे बड़े ठिकानों के रूप में सामने जाएंगे चेन्नई और बेंगलुरु 

अगले चार-पांच सालों में रोजगार के सबसे बड़े ठिकानों के रूप में सामने जाएंगे चेन्नई और बेंगलुरु 

नई दिल्ली ।  अगले 4-5 सालों में यानी लगभग 2026 तक देश के तमाम नए इंजीनियर चेन्नई और बेंगलुरु की तरफ भागते नजर आएंगे। सिर्फ इंजीनियर ही नहीं, दूरसंचार और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में कदम रखने वाले नए पेशेवरों का भी यही हाल होने वाला है। मानव-संसाधन (एचआर) के क्षेत्र में काम करने वाली एक बड़ी फर्म का यह अनुमान है। 
एचआर फर्म टीमलीज के आकलन के मुताबिक अगले 4-5 सालों के भीतर इंजीनियरिंग, टेलीकॉम और हेल्थकेयर के क्षेत्रों से 1.20 करोड़ नौकरियों की मांग आने वाली है। इन तीनों क्षेत्रों में इस समय करीब 4.20 करोड़ लोग काम कर रहे हैं। इनमें से इंजीनियरिंग की विभिन्न शाखाओं में ही तीन करोड़ पेशेवर हैं। इनकी तादाद 2026 तक बढ़कर 3.80 करोड़ हो सकती है। इसी तरह हेल्थकेयर में इस वक्त 75 लाख के आसपास पेशेवर हैं। ये बढ़कर 95 लाख तक हो सकते हैं। जबकि टेलीकॉम में 40 लाख के करीब लोग काम कर रहे हैं। इनकी संख्या 60 लाख तक हो सकती है। 
फर्म की रिपोर्ट की मानें तो इन तीनों ही क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए अच्छी नौकरी की सबसे ज्यादा संभावनाएं चेन्नई और बेंगलुरु में उपलब्ध होंगी। टीमलीज के साथ काम कर रहीं मुनीरा लोलीवाला इस बारे में बताती हैं वर्तमान में भी इंजीनियरिंग पेशेवरों को सबसे ज्यादा काम दक्षिण भारत से ही मिल रहा है। इस मामले में चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद शीर्ष तीन स्थानों पर बने हुए हैं। ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल्स इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में तो सबसे ज्यादा नौकरियां चेन्नई से ही निकल रही हैं। फिर कहीं पुणे, दिल्ली आदि का नंबर आता है। इसी तरह, सेमीकंडक्टर उद्योग में भी चेन्नई और बेंगलुरु शीर्ष पर हैं। इसके बाद औरंगाबाद, पुणे, गुरुग्राम, नोएडा का नंबर आता है। 
दूरसंचार के क्षेत्र में भी सर्वाधिक नौकरियां देने वाले दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों के बाद चेन्नई और बेंगलुरु शीर्ष 5 में शामिल हैं। यही हाल स्वास्थ्य सेवाओं का है। उसमें भी सबसे अधिक नौकरियां बेंगलुरु से निकल रही हैं। फिर मुंबई, दिल्ली और पुणे का नंबर आता है। रिपोर्ट के मुताबिक, भविष्य में भी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पेशेवरों सबसे ज्यादा करीब 17 फीसदी मांग चेन्नई और बेंगलुरु से ही निकलने वाली है। जबकि इंजीनियरिंग, टेलीकॉम और हेल्थकेयर के तीनों क्षेत्रों को मिला लें तो दक्षिण के शहरों से कुल करीब 40 फीसदी नौकरियों की मांग आने वाली है।
 

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