
जवाहनलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से गुरुवार को डॉक्टरेट हासिल करने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा वह असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी तलाश कर अकादमिक क्षेत्र में ही बने रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा मेरे लिए राजनीति में कैरियर नहीं है। राजद्रोह के एक मामले में फंसे कन्हैया कुमार ने बताया कि उन्होंने जुलाई 2018 में पीएचडी थीसिस जमा की थी। कुमार ने कहा कि एंटी इंडिया स्लोगन को लेकर उनके खिलाफ एक अभियान चलाया गया, इसके बावजूद उन्होंने समय पर शोध कार्य पूरा कर लिया था। कन्हैया कुमार ने वर्ष 2011 में जेएनयू के सेंटर फॉर अफ्रीकन स्टडीज इन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्कूल में एमफिल-पीएचडी कोर्स के लिए दाखिला लिया था, जहां पर एमफिल दो वर्ष का है, जबकि पीएचडी पांच साल का। कन्हैया कुमार ने कहा अपने बैच में वायवा पूरा करने वाला मैं पहला व्यक्ति हूं। कन्हैया ने ट्वीट किया, 'आज अपनी पीएचडी थीसिस का वायवा पास करने की खुशी आप सभी से साझा करना चाहता हूं। उन तमाम लोगों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने संघर्ष में मेरा साथ दिया।' इसके साथ ही लिखा- ऑफिशली डॉ. कन्हैया कुमार....। इसके बाद पोस्ट में कन्हैया ने लिखा है, 'हम लाए हैं तूफान से डिग्री निकालके।'