नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल के बीरभूम में पिछले दिनों हुई कथित हिंसा के मुद्दे पर शुक्रवार को राज्यसभा में हंगामा हुआ। जिसके बाद सदन की कार्यवाही 11 बजकर 54 मिनट पर 12 बजकर 10 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रूपा गांगुली ने शून्य काल के तहत मुद्दे को उठाया और भावुक होकर बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने इसका जोरदार विरोध किया तब हंगामा शुरु हो गया। इस दौरान भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
हंगामे के बीच उपसभापति हरिवंश ने विशेष उल्लेख के तहत लोक महत्व से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए बीजू जनता दल की ममता मोहंता का नाम पुकार दिया। हंगामे के बीच ही ममता ने अपना मुद्दा उठाया, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं जा सकी। उपसभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने की अपील की। अपनी बात का असर होते न देख उन्होंने कार्यवाही 11 बजकर 54 मिनट पर दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले, गांगुली ने बंगाल हिंसा के मुद्दे को उठाकर कहा कि वह पश्चिम बंगाल के बारे में जो कहना चाह रही हैं, उसकी चर्चा करने से सिर ग्लानि से झुक जाता है। उन्होंने कहा कि बीरभूम जिले में दो बच्चों सहित आठ लोगों को जलाकर मार दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य की पुलिस पर किसी को भरोसा नहीं रह गया है।
गांगुली ने कहा, झालदा में काउंसिलर मरता है...सात दिन के अंदर 26 हत्याएं होती हैं...26 राजनीतिक हत्याएं...आग से जलाकर खत्म कर दिया गया है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से पता चला है कि पहले सभी के हाथ पैर तोड़कर फिर कमरे में बंद करके जला दिया गया। उन्होंने कहा, ...वहां एक-एक कर लोग भाग रहे हैं। वहां पर लोग जीने की स्थिति में नहीं हैं। पश्चिम बंगाल भारत का अंग है। हमें...रूपा गांगुली को राष्ट्रपति शासन चाहिए। हमें जीने का हक है। पश्चिम बंगाल में जन्म लेना कोई अपराध नहीं है। ये अपराध नहीं हो सकता।’’ और इतना कहते हुए वह रोने लगीं।
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बंगाल हिंसा पर फूट-फूट कर रोती हुई बोली रुपा गांगुली, बंगाल में लगे राष्ट्रपति शासन