मॉस्को । यूक्रेन पर रूसी हमले से पश्चिमी देश नाराज हैं। अमेरिका सहित पश्चिमी देश रूसी इकॉनमी को बर्बाद करने की हर कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए इन देशों ने यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद कई सारे प्रतिबंध लगा दिए हैं। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने कहा कि वे रूस के साथ किसी भी प्रकार के वित्तीय लेनदेन को ब्लॉक करने जा रहे हैं, इसमें सोना भी शामिल है। यह कदम रूस के अंतरराष्ट्रीय रिजर्व के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के मकसद से उठाया गया है। यह प्रतिबंध जी-7 और यूरोपियन यूनियन के देशों द्वारा लगाए गए हैं। बता दें कि जी-7 के देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी इटली और जापान शामिल हैं।
अमेरिका ने क्रीमिया पर रूसी हमले के चलते रूस पर प्रतिबंध लगाए थे। इसके बाद 2014 में रूस ने ज्यादा सोना खरीदना शुरू किया। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक रूस के पास अब 100 अरब से लेकर 140 अरब डॉलर सोने का भंडार है। बता दें यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद जब रूस को बैंकिंग सिस्टम से बाहर कर दिया गया, तब रूस ने 28 फरवरी को ऐलान किया कि वह सोने की खरीद फिर शुरू करेगा।
अमेरिका की ओर से कहा गया है कि रूस प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने के लिए अपनी करेंसी को सपोर्ट करने के लिए सोने का उपयोग कर सकता है। बता दें कि सोने में लेनदेन को ब्लॉक करने की घोषणा जी-7 और यूरोपिय यूनियन के देशों ने की है। इससे सोने के भंडार पर प्रतिबंध लगेगा। अमेरिका राजस्व विभाग के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, अमेरिका के गोल्ड डीलर्स डिस्ट्रीब्यूटर्स, बायर्स और वित्तीय संस्थानों समेत अमेरिकी नागरिक रूस के साथ सोने की खरीद या बिक्री नहीं कर सकते हैं। इन प्रतिबंधों से रूस के साथ सोने की लेनदेन करने वाले विभिन्न पक्षों पर भी असर होगा।
वहीं रूसी करेंसी कमजोर होती जा रही हैं, इन प्रतिबंधों के चलते रूसी करेंसी को मजबूत करने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही जो पक्ष रूसी सोने का लेनदेन करते हैं, उन पर भी असर होगा। सोने के लेनदेन पर प्रतिबंध लगने से उन वित्तीय लेनदेन ऊपर भी रोक लग जाएगी, जो कई देश अभी भी रूस के साथ व्यापार जारी रखने के लिए कर रहे हैं।
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रुस के सोने के भंडार को राख बनने में जुटे अमेरिका और उसके सहयोगी देश