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दुनिया के सामने आसन्न संकट....!  -विश्व युद्ध की आशंकाः तटस्थ देशों की मनोदशा

दुनिया के सामने आसन्न संकट....!  -विश्व युद्ध की आशंकाः तटस्थ देशों की मनोदशा

पिछले एक माह से रूस व युक्रेन बीच चल रहे युद्ध का रूख अब धीरे धीरे विश्वयुद्ध की ओर होता जा रहा है और यदि इस तीसरे विश्व युद्ध में रूस के राष्ट्रपति पुतीन परमाणु अस्त्रों का उपयोग करते है तो फिर इस विश्व युद्ध की विभीषिका की कल्पना भी नहीं की जा सकती, क्योंकि आज की मौजूदा स्थिति में विश्व में सर्वाधिक साढ़े पांच सौ से अधिक परमाणु बम रूस के पास ही है, यदि रूसी राष्ट्रपति के पागलपन में अभिवृद्धि हो गई और उन्होंने परमाणु अस्त्रों का प्रयोग शुरू कर दिया तो अकेले युक्रेन या पोलेण्ड नहीं बल्कि विश्व के सर्वाधिक भाग पर उसका असर होगा और फिर उसके बाद के विश्व की कल्पना करना भी कठिन होगा। इन्हीं सब आशंकाओं को लेकर विश्व के लगभग सभी देश रूसी राष्ट्रपति को कोस रहे है, क्योंकि जो क्षति पिछले एक महीनें में युक्रेन में नहीं हुई उससे अधिक क्षति परमाणु बमों से कई देशों में एक दिन में ही हो सकती है, अब पूरे विश्व की नजर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडन की पोलेण्ड यात्रा और उसकी युद्ध को लेकर भावी भूमिका पर है, साथ ही युक्रेन का अब तक कथित रूप से साथ देने वाले नाटों संगठन देशी समूह पर भी है, यदि नाटो युक्रेन के समर्थन में रूस के सामने खड़ा होता है और अमेरिका उसे पीछे से सहायता करता है तो फिर विश्व युद्ध सुनिश्चित माना जा रहा है। 
अब इस स्थिति में सबसे अधिक मनोदशा खराब भारत व इंग्लैण्ड जैसे तटस्थ देशों की है, जो किसी भी महाशक्ति के पीछे खड़े नही है, जबकि इन तटस्थ देशों के सम्बंध रूस और अमेरिका दोनों ही महाशक्तियों से मधुर व सहयोगी है। इसका ताजा उदाहरण भारत द्वारा हाल ही में रूस से तेल खरीदना है और अमेरिका  का इस मामले में मौन रहना है, चूंकि हमारे देश के आपसी रिश्ते रूस व अमेरिका दोनों से ही सहयोगी व मधुर है, इसलिए भारत तथा अन्य तटस्थदेशों की मनोदशा इस गंभीर दौर में विचारणीय हो गई है, यद्यपि भारत व इंग्लैण्ड के साथ अन्य देशों जर्मनी, जापान, फ्राँस आदि ने इस बारे में युक्रेन व रूस दोनों ही देशों के राष्ट्रपतियों से आपसी सुलह को लेकर काफी प्रयास किये, जापान तो दोनों देशों के बीच मध्यस्थता के लिए भी तैयार था, किंतु रूसी राष्ट्रपति पुतीन के दीमाग में ‘विश्वयुद्ध’ ऐसा प्रवेश कर गया है कि वे किसी की कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। भारत और इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्रियों ने कल ही इस युद्ध को लेकर गंभीर चिंतन किया, दोनों ही देशों के प्रधानमंत्रियों ने रूस के राष्ट्रपति से भी बात की, किंतु उसका कोई प्रतिफल नजर नहीं आया, कई बार युक्रेन के राष्ट्रपति ने रूसी राष्ट्रपति से चर्चा का भी प्रस्ताव किया किंतु रूस के राष्ट्रपति पर पागलपन इतना हावी हो गया है कि वे किसी की भी कोई बात सुनने को तैयार ही नहीं है और अब तक दोनों देशों के बीच हुई तीन चर्चाओं के चलते युक्रेन पर बमबारी रोकने को तैयार नहीं  है। पिछले एक महीनें में युक्रेन पुरी तरह खत्म हो चुका है उसके सभी मुख्य शहर खण्डहरों में परिवर्तित हो चुके है युक्रेन की राजधानी कीव पर भी रूस ने कब्जा कर लिया है। 
अब पूरे विश्व के सामने मुख्य सवाल यह है कि रूसी राष्ट्रपति के इस पागलपन भरे जुनून को कैसे रोका जाए क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ और सुरक्षा परिषद जैसी विश्व हितैषी संगठन भी कुछ कर नहीं पा रहे है.... और यदि विश्व के देशों की तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका सही हो गई तो फिर इस विश्व का क्या होगा? कितना सर्वनाश होगा? इसकी कल्पना भी मुश्किल है, इसी चिंता में आज पूरा विश्व डूबा हुआ है। 
(लेखक- - ओमप्रकाश मेहता/)

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