नई दिल्ली । डॉक्टर अर्चना शर्मा ने एक मरीज की मौत का जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद आत्महत्या कर ली थी। अब राज्य सरकार ने दौसा के एसपी को हटाने के आदेश दे दिए हैं और दो अन्य पुलिस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। मामला राजस्थान के दौसा का है जहां 42 वर्षीय अर्चना शर्मा अपने पति के साथ मिलकर एक निजी अस्पताल चलाती थीं। वो उसी अस्पताल में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में काम भी करती थीं। रविवार 27 मार्च की रात उनके अस्पताल में प्रसव पीड़ा से गुजर रही एक 22 वर्षीय महिला को लाया गया था। लेकिन प्रसव कक्ष में इलाज के दौरान ही महिला की स्थिति ज्यादा खराब हो गई और उसकी मौत हो गई। उसके बाद उसके रिश्तेदारों ने उसकी मौत के लिए अस्पताल को जिम्मेदार ठहराया और लापरवाही का आरोप लगाया। आरोप को लेकर सदमा उनकी मांग पर पुलिस ने अर्चना शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली और उन पर दफा 302 के तहत हत्या का आरोप लगा दिया। मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि इन आरोपों से आहत होकर शर्मा ने अस्पताल के ही एक कमरे में खुद को फांसी लगा ली। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उनके द्वारा लिखी एक चिट्ठी भी बरामद की गई जिसमें उन्होंने लिखा था कि पीड़ित महिला की मौत एक्यूट पोस्टपार्टम हैमराज (पीपीएच) नाम की अवस्था से हुई थी, जिसमें प्रसव के दौरान बहुत ज्यादा खून बह जाता है। शर्मा ने चिट्ठी में लिखा, "मैं अपने पति और बच्चों से बहुत प्यार करती हूं। कृपया मेरी मौत के बाद उन्हें परेशान न करें। मैंने कोई गलती नहीं की और किसी की जान नहीं ली। पीपीएच एक गंभीर समस्या है, इसके लिए डॉक्टरों का परेशान करना बंद कीजिए। मेरी मौत शायद मेरी बेगुनाही साबित कर दे। कृपया निर्दोष डॉक्टरों को परेशान न करें" शर्मा की आत्महत्या के बाद दौसा और दूसरे भी कई स्थानों पर डॉक्टरों ने इस घटना पर नाराजगी जताई। मामले के तूल पकड़ने के बाद बुधवार 30 मार्च को राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बैठक बुलाई जिसमें इस मामले से संबंधित पुलिस अधिकारीयों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया गया। डॉक्टरों के बचाव में सरकार गहलोत ने दौसा के एसपी अनिल कुमार को हटाने, लालसोट पुलिस स्टेशन के एसएचओ अंकेश कुमार के निलंबन और वहीं के डीएसपी शंकर लाल को तैनाती आदेश के इंतजार में डाल देने के आदेश दिए हैं
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डॉक्टर की आत्महत्या पर पुलिस के खिलाफ कार्रवाई