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 नर्सिंग के सिलेबस में 'दहेज के फायदे' बताने वाली किताब पर बवाल - नर्सिंग काउंसिल ने दी सफाई

 नर्सिंग के सिलेबस में 'दहेज के फायदे' बताने वाली किताब पर बवाल - नर्सिंग काउंसिल ने दी सफाई

नई दिल्ली ।  नर्सिंग के सिलेबस में 'दहेज के फायदे' बताने वाली किताब पर बवाल मचा है, सोशल मीडिया पर इन दिनों एक किताब का पेज काफी चर्चा में है। इसमें ‘दहेज के फायदे’ गिनाए गए हैं। इस पेज के सामने आने के बाद से ही लोग इसका विरोध कर अपनी नाराजगी दर्ज करा रहे हैं। सोशल मीडिया पर किए गए पोस्‍ट में दावा किया गया है कि यह पेज नर्सिंग के सोशियोलॉजी के सिलेबस की किताब का है। चूंकि इस बुक के कवर पेज पर इसे इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) के सिलेबस के अनुसार लिखा होना बताया गया है तो अब आईएनसी ने इस पर स्‍पष्‍टीकरण दिया है।
इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) ने आधिकारिक बयान में कहा है, ‘यह बात संज्ञान में आई है कि सोशियोलॉजी फॉर नर्सिंग के कुछ लेखक आईएनसी के नाम का इस्‍तेमाल करके अपनी किताबें निकाल रहे हैं। आईएनसी ऐसे किसी भी कंटेंट की निंदा करता है जो कानून का उल्‍लंघन करता हो। यह भी साफ किया जाता है कि आईएनसी विभिन्‍न नर्सिंग कार्यक्रमों के लिए सिर्फ उन्‍हीं सिलेबस को प्रस्‍तावित करता है, जो उसकी वेबसाइट पर हैं।’ बयान में यह भी साफतौर पर कहा गया है कि आईएनसी किसी भी लेखक को एंडोर्स नहीं करता है और ना ही किसी लेखक को निजी पब्लिकेशन के लिए काउंसिल का नाम इस्‍तेमाल करने की इजाजत नहीं दी गई है।
वहीं शिवसेना की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर बीएससी द्वितीय वर्ष की एक किताब की सामग्री को लेकर कार्रवाई की मांग की, जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां हैं। प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने पत्र में कहा है कि टीके इंद्राणी द्वारा लिखी गई सोशलॉजी फॉर नर्सेज पाठ्यपुस्तक दहेज प्रथा के गुण और फायदे बताती है।
उन्होंने कहा कि दहेज प्रथा के तथाकथित लाभों में से एक, जैसा कि किताब में लिखा गया है, ‘दहेज के बोझ के कारण, कई माता-पिताओं ने अपनी लड़कियों को शिक्षित करना शुरू कर दिया है। जब लड़कियां शिक्षित होती हैं या नौकरी करती हैं, तो दहेज की मांग कम होगी। यह एक अप्रत्यक्ष लाभ है।’ पुस्तक के अनुसार, ‘बदसूरत लड़कियों की शादी ठीकठाक दहेज के साथ अच्छे या बदसूरत दिखने वाले लड़कों के साथ की जा सकती है।’
 

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