नई दिल्ली। हाल ही में एक अध्ययन के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी और कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने नॉर्थ इंडिया के इलाकों से ऐसे सेब के सैंपल लिए, जिन्हें बेचे जाने से पहले स्टोर किया गया था। इसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिसर्चर्स के अनुसार, बाजार में बिकने वाले सेब में 13प्रतिशत पर कैंडिडा ऑरिस नामक फफूंद मिला है। दरअसल, सेब को लंबे समय तक ताजा बनाए रखने के लिए फफूंदनाशकका इस्तेमाल होता है। इससे ऐसे घातक बग को पनपने का मौका मिलता है, जिस पर कोई दवा भी असर नहीं करती। इस बग के संपर्क में आने पर व्यक्ति की मौत तक हो सकती है। रिसर्चर्स के अनुसार, फफूंदनाशक अनजाने में कैंडिडा ऑरिस को फैलने में मददगार हो रहा है, रिसर्चर्स ने इस स्टडी के लिए नॉर्थ इंडिया के 62 सेब की सतहों को जांचा गया। इनमें से 42 सेब बाजार में बिकने वाले थे, जबकि 20 सीधे बाग से लिए गए। नतीजे बताते हैं कि 8 सेब पर कैंडिडा ऑरिस फंगस पाया गया। इनमें से 5 रेड डेलिशियस और 3 रॉयल गाला थे। रिसर्चर्स के अनुसार, जो सेब बाग से लिए गए थे। उनमें से किसी में भी किसी तरह का फंगस नहीं मिला। दरअसल, फलों की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए उन पर फफूंदनाशक की परत चढ़ाई जाती है, ताकि सभी प्रकार के खमीर (यीस्ट) खत्म हो जाएं, लेकिन सिर्फ कैंडिडा ऑरिस पर ये बेअसर होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, सेब को चमकीला और ताजा बनाए रखने के लिए उस पर खाद्य सिंथेटिक मोम की परत लगाई जाती है। यदि सेब कोल्ड स्टोरेज वाला हो, तो अच्छी तरह धोकर खाएं। सेब को गर्म पानी से धोकर अच्छे कपड़े से साफ भी कर सकते हैं। इससे उसकी परत साफ हो जाएगी। सेब धोने वाले पानी में सिरका मिला सकते हैं। ये यीस्ट जो कि एक तरह की फंगस है, उसका हानिकारक रूप है। इसे सीडीसी ने सुपरबग फंगस (फफूंद) माना है। ये फंगस घावों, कान और रक्त नलिकाओं में संक्रमण फैला सकता है। कैंडिडा ऑरिस की पहचान सबसे पहले साल 2009 में जापानी महिला में हुई थी। तब से ये भारत समेत कनाडा, वेनेजुएला, कोलंबिया, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, नॉर्वे और जर्मनी में मिल चुका है। एंटीफंगल दवाएं भी इस पर असरदार नहीं हैं। इससे संक्रमित 30 से 60प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि एक खास मौसम में आने वाला सेब ग्राहकों के लिए बाजार में साल भर कैसे उपलब्ध रहता है? दरअसल, इसका कारण ये है कि सेबों पर एक विशेष परत चढ़ाकर इन्हें कोल्ड स्टोरेज में रख दिया जाता है। ताकि ये लंबे समय तक तरोताज बने रहें।
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सेब में 13प्रतिशत तक कैंडिडा ऑरिस नामक फफूंद मिला - अध्ययन में हुआ चौंकाने वाला खुलासा