नई दिल्ली । देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने सरकारों द्वारा न्यायपालिका को बदनाम करने प्रवृत्ति की निंदा की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जजों पर आरोप लगाने का प्रयास पहले केवल निजी पार्टियों द्वारा किया जाता था, लेकिन हाल ही में सरकार भी इसमें शामिल हो गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह एक नया चलन है जहां सरकार जजों को बदनाम कर रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इसे अदालत में भी देख रहे हैं। पहले केवल निजी पक्ष ने इसका सहारा लिया था, लेकिन यह हम हर रोज देख रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश अध्यक्षता वाली पीठ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एक पूर्व प्रमुख सचिव अमन कुमार सिंह के खिलाफ एफआईआर को निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा था कि एफआईआर संभाव्यता के आधार पर दायर की गई है, जिसके आधार पर किसी को अभियोजित नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट के एफआईआर निरस्त करने के आदेश के खिलाफ कोर्ट आए भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उन्होंने जजों को बदनाम नहीं किया है। यदि ऐसी प्रवृत्ति है तो उसे खारिज करना चाहिए। अंतत: कोर्ट ने मामले को 18 अप्रैल के लिए स्थगित कर दिया।
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जजों को बदनाम कर रही सरकारें यह दुर्भाग्यपूर्ण है सीजेआई की टिप्पणी