नई दिल्ली । अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को ‘रिवाइज्ड फी स्ट्रक्चर’ भेज दिया है, जिसमें ‘मिनिमम फी’ का प्रस्ताव भी शामिल है। एआईसीटीई के इस कदम के बाद इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों द्वारा लिए जाने वाले ‘ट्यूशन फी’ की सीमा में बदलाव होना तय माना जा रहा है। यह संशोधन 7 साल बाद आया है। इससे पहले एक विशेषज्ञ समिति ने संस्थान ‘ट्यूशन फी’ के रूप में कितना शुल्क ले सकते हैं, इसकी अपर लिमिट निर्धारित करने की सिफारिश की थी। लेकिन अब तक ‘ट्यूशन फी’ की लोवर लिमिट निर्धारित नहीं की गई थी। एआईसीटीई की कार्यकारी समिति ने 10 मार्च को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शुल्क समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी और इसे शिक्षा मंत्रालय को भेज दिया, जो इसकी जांच कर रहा है। समिति ने शिक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव दिया है कि अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के मामले में, वार्षिक न्यूनतम शुल्क 79,000 रुपये से कम नहीं हो सकता है, जबकि अधिकतम शुल्क सीमा 1.89 लाख रुपये तक सीमित की गई है। अप्रैल 2015 में प्रस्तुत अपनी पिछली रिपोर्ट में, समिति ने सुझाव दिया था कि 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए अधिकतम शुल्क 1.44 लाख रुपये से 1.58 लाख रुपये प्रति वर्ष तय किया जाए।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के संशोधित फी स्ट्रक्चर को लागू करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ-साथ राज्य सरकारों की अनुमति की आवश्यकता होगी। वर्षों से ‘मिनिमम फी कैप’ के अभाव में कई निजी इंजीनियरिंग कॉलेज एआईसीटीई में ‘ट्यूशन फी’ की निचली सीमा निर्धारित करने के लिए आवेदन कर रहे थे। प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों ने एआईसीटीई को भेजे अपने आवदेशन में तमिलनाडु और तेलंगाना में अधिकारियों पर अव्यवहारिक न्यूनतम शुल्क सीमा तय करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इससे दिन-प्रतिदिन के कामकाज में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके बाद केंद्र सरकार ने श्रीकृष्ण समिति से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए न्यूनतम शुल्क सीमा के साथ-साथ शुल्क संरचना पर नए सिरे से विचार करने का अनुरोध किया था। श्रीकृष्ण समिति की नई सिफारिशों में इंजीनियरिंग (डिप्लोमा) के लिए अधिकतम (1.4 लाख रुपए प्रति वर्ष) और न्यूनतम (67,000 रुपए) शुल्क के साथ अप्लायड आर्ट एंड डिजाइन के लिए भी अधिकतम और न्यूनतम शुल्क निर्धारित किया गया है। पोस्ट ग्रेजुएट इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के मामले में, अधिकतम और न्यूनतम शुल्क क्रमशः 3.03 लाख रुपए और 1.41 लाख रुपए प्रस्तावित किया गया है।
टीएमए पाई फाउंडेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर तकनीकी शिक्षा के व्यावसायीकरण को रोकने संबंधी दिशानिर्देश निर्धारित करने के लिए श्रीकृष्ण समिति का गठन किया गया था। तब अदालत ने फैसला सुनाया था कि तकनीकी शिक्षा के व्यावसायीकरण को रोकने के लिए, निजी संस्थानों द्वारा ली जाने वाली फीस राज्य सरकारों द्वारा तय की जानी चाहिए, जब तक कि राष्ट्रीय स्तर की फीस निर्धारण समिति अपनी सिफारिशें नहीं देती। एआईसीटीई अधिनियम की धारा 10 में कहा गया है कि परिषद ‘ट्यूशन और अन्य शुल्क वसूलने के लिए मानदंड और दिशानिर्देश तय कर सकती है।
नेशन
केंद्रीय समिति ने तय की इंजीनियरिंग-टेक संस्थानों में अधिकतम और न्यूनतम शुल्क सीमा