नई दिल्ली । चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच बातचीत अंतिम दौर में हैं। वह लगातार पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए अपनी कार्ययोजना पर चर्चा कर रहे हैं। यह लगभग तय माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर जल्द कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि क्या वह पार्टी नेता के तौर पर अपनी कार्ययोजना को लागू कर पाएंगे। कांग्रेस देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है। पार्टी का काम करने का अपना तरीका है। हर राज्य में पार्टी के सामने अलग तरह की चुनौतियां हैं। संगठन कमजोर है और अंदरुनी कलह चरम पर है। ऐसे में प्रशांत किशोर के लिए कांग्रेस का हाथ थामकर अपनी कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाना आसान नहीं होगा। पार्टी में हाईकमान कल्चर और निर्णयों में देरी से भी उनकी चुनौतियां बढेंगी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने कारणों पर विचार करने कई समितियों का गठन किया है। पर पार्टी कभी हार से सबक लेते हुए खुद को बदलने की कोशिश करती हुई नजर नहीं आई। ऐसे में प्रशांत किशोर कांग्रेस को बदलने में कितना सफल होंगे, इसको लेकर कई सवाल हैं। क्योंकि, पार्टी नेता के तौर पर काम करते हुए उनके सामने चुनौतियां की लंबी फेहरिस्त है।
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कांग्रेस में आसान नहीं होगी प्रशांत किशोर की राह