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 मरीज की मौत को तथ्यों के जाने बिना चिकित्सकीय लापरवाही नहीं कहा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

 मरीज की मौत को तथ्यों के जाने बिना चिकित्सकीय लापरवाही नहीं कहा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने  कहा कि किसी मरीज की मौत को सभी प्रासंगिक तथ्यों को जाने बिना चिकित्सकीय लापरवाही नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि कानून की व्याख्या से यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि एक डॉक्टर को केवल इसलिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिए क्योंकि गलती या दुस्साहस से या निर्णय में कमी के चलते इलाज के एक उचित तरीके को दूसरे तरीके पर वरीयता देने के कारण चीजें गलत हो गईं। कोर्ट ने कहा, 'डॉक्टरों से उचित देखभाल की उम्मीद की जाती है, लेकिन कोई भी पेशेवर यह आश्वासन नहीं दे सकता है कि संकट का हल करने के बाद मरीज घर वापस चला ही जाएगा।' जस्टिस अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने कहा, 'हालांकि, दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में मौत हो सकती है। यह आवश्यक होगा कि मृत्यु चिकित्सकीय लापरवाही के कारण होने के निष्कर्ष पर न्याय करने वाले प्राधिकारी के पहुंचने से पहले चिकित्सा साक्ष्य पर पर्याप्त सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए। यहां तक कि किसी भी मरीज की मौत को बिना प्रासंगिक तथ्यों को जाने चिकित्सकीय लापरवाही नहीं माना जा सकता।' पीठ ने कहा, 'चिकित्सा में, उपचार के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं। विचारों में वास्तविक मतभेद हो सकता है। हालांकि, उपचार के एक तरीके को अपनाने के दौरान, चिकित्सक का यह कर्तव्य होता है कि उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके द्वारा अपनाया जा रहा चिकित्सा नियम उसके सर्वोत्तम कौशल और उसकी दक्षता के अनुरूप है।
 

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