मोदी सरकार को 45,000 करोड़ के चार बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिलने से इस सेक्टर की रफ्तार में तेजी आने की उम्मीद है। वित्तीय मंत्रालय के प्रोजेक्ट इन्वेस्टमेंट बोर्ड ने एनएचपीसी के 28,000 करोड़ के दिबांग प्रोजेक्ट और लैंको इंफ्राटेक के तीस्ता छठवां प्रोजेक्ट को एक्वायर और पूरा करने के प्रोपाजल की सिफारिश की है। तीस्ता छठवां प्रोजेक्ट लगभग 5,400 करोड़ का है। एनएचपीसी ने 500 मेगावॉट का तीस्ता हाइड्रोपावर प्लांट इन्सॉल्वेंसी प्रोसीडिंग के तहत 907 करोड़ में खरीदा है। इसके प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए लगभग 4,500 करोड़ रुपये का और इनवेस्टमेंट करने की जरूरत होगी। इस अब मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा। एनएचपीसी के पास 7,071 मेगावॉट की इंस्टॉल्ड जेनरेशन कैपेसिटी है। कंपनी के पास और 3,800 मेगावॉट की कैपेसिटी अंडर कंस्ट्रक्शन है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, देरी और प्रोजेक्ट्स के अटकने के साथ हाइड्रोपावर सेक्टर को अनदेखा किया जा रहा था। हाल के कदमों से इस सेक्टर में इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा। इसके साथ ही यह पहली बार है कि जब एक सरकारी कंपनी ने नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में एक प्रोजेक्ट के लिए बिड देकर उस हासिल किया है। बड़ी सरकारी कंपनियां इन्सॉल्वेंसी कोर्ट में बिडिंग करने से बच रही हैं, लेकिन सीमित वित्तीय स्वतंत्रता रखने वाली मिनीरत्न कंपनी एनएचपीसी ने एक उदाहरण तय किया है।
2,800 मेगावॉट के दिबांग मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट को पिछले वर्ष नवंबर में प्री-इनवेस्टमेंट के लिए अप्रूवल मिला था। नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने प्रोजेक्ट को एनवायरमेंटल क्लीयरेंस देने के सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदीप कुमार भुइयां की अपील खारिज कर दी थी। ट्राइब्यूनल ने अरुणाचल प्रदेश की लोअर दिबांग वैली डिस्ट्रिक्ट में इस प्रोजेक्ट को एनवायरमेंटल क्लीयरेंस बरकरार रखी थी। इसके साथ ही असम और अरुणाचल प्रदेश के बॉर्डर पर 2,000 मेगावॉट के लोअर सुबानिसिरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट की स्टडी के लिए तीन सदस्यों की एक्सपर्ट कमेटी बनाने के खिलाफ सोशल एक्टिविस्ट्स की ओर से दायर अपील भी ट्राइब्यूनल ने रद्द कर दी थी। अधिकारी ने बताया कि एनएचपीसी दिबांग नदी पर 70 मीटर ऊंचे बांध के निर्माण के लिए जल्द ही कॉन्ट्रैक्ट्स देगी। एनएचपीसी ने हाल ही में 850 मेगावॉट के रात्ले हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए जम्मू और कश्मीर के साथ एमओयू साइन किया था। इस प्रोजेक्ट में 6,760 करोड़ का इनवेस्टमेंट होगा। प्रोजेक्ट में एनएचपीसी की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है।
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मोदी सरकार से मंजूरी मिलने से हाइड्रोपावर सेक्टर को 4 बड़े प्रोजेक्ट्स से मिलेगी रफ्तार