नई दिल्ली । रफ्तार तीसरी लहर के मुकाबले धीमी नजर आ रही है। हालांकि, कम जांच के बाद भी संक्रमण की ऊंची दर चिंता बढ़ा रही है। तीसरी लहर के दौरान ज्यादा जांच के बाद भी संक्रमण दर कम थी और कोरोना के ज्यादा मामले सामने आ रहे थे। चौथी लहर की आशंका के बीच रोजाना सामने आने वाले कोरोना मरीजों की संख्या 100 से एक हजार पहुंचने में 16 दिन का समय लगा है। वहीं, पिछले वर्ष दिसंबर में तीसरी लहर के दौरान एक हजार से ज्यादा कोरोना मरीज आने में 10 दिन का समय लगा था। दिल्ली कोरोना बुलेटिन के अनुसार, पांच अप्रैल से लगातार 100 से अधिक मामले आने शुरू हुए थे, जो 20 अप्रैल को बढ़कर 1009 तक पहुंच गए। तीसरी लहर में 21 दिसंबर से लगातार 100 से अधिक मरीज सामने आने लगे थे और 30 दिसंबर तक एक दिन में आने वाले मरीजों की संख्या 1313 तक पहुंच गई थी। सफदरजंग अस्पताल के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि अगर ज्यादा जांच होगी, तो संक्रमण के ज्यादा मामले सामने आएंगे। अभी दिल्ली में वायरस के सक्रिय स्वरूप को जानने के लिए जीनोम सिक्वेसिंग की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। अभी तक जिस प्रकार से मामले सामने आ रहे हैं, उनमें अस्पताल में भर्ती होने का आंकड़ा कम है। ऐसे में लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। समय-समय पर इस तरह से कोरोना के मामलों में इजाफा देखने को मिलता रहेगा जो बीमारी के धीरे-धीरे खत्म होने की ओर इशारा करता है। कोरोना के 965 नए मरीज मिले। ठीक होने वाले वाले मरीजों की संख्या 635 रही, जबकि कोरोना से मौत का एक मामला सामने आया। कोविड-19 स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार बीते 24 घंटे में 20480 लोगों की जांच की गई, जिसमें आरटीपीसीआर से 11203 और रैपिड एंटीजन टेस्ट से 9277 लोगों की जांच हुई। कोरोना संक्रमण की जांच दर 4.71 फीसदी रही।
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कोरोना की चौथी लहर की रफ्तार तीसरी से है कम