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इंडोनेशिया में पाम आयल निर्यात पर रोक से भारत पर असर की संभावना कम: रे‎टिंग एजेंसी 

इंडोनेशिया में पाम आयल निर्यात पर रोक से भारत पर असर की संभावना कम: रे‎टिंग एजेंसी 

नई दिल्ली । रेटिंग और बाजार परामर्श एजेंसी क्रिसिल रिसर्च की जारी एक ताजा रिपोर्ट में इंडोनेशियों से पाम आयल निर्यात पर रोक से भारत के बाजार पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार इंडोनेशिया ने कच्चे पाम तेल आरबीडी पाम तेल के निर्यात पर पाबंदी नहीं लगाई है जो भारत की द्दष्टि से महत्वपूर्ण हैं। क्रिसिल रिसर्च के एक व‎रिष्ठ अ‎धिकारी का कहना है कि हाल ही में जारी इंडोनेशियाई अधिकारियों के नवीनतम स्पष्टीकरण के अनुसार, पिछले सप्ताह घोषित निर्यात प्रतिबंध में आरबीडी ओलियन के निर्यात को रखा गया है। उसमें कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और आरबीडी पाम तेल के निर्याता पर पाबंदी नहीं है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत ने नवंबर-मार्च ‘22 के दौरान 56.4 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया, जिसमें से 47 फीसदी माल खाद्य पाम तेल और उसके ब्यूत्पादों का था। इस तरह पाम तेल और उसके उत्पाद का आयात इस दौरान 26 लाख 50 हजार टन के करीब बनाते हैं। इसमें इंडोनेशियाई बाजार की हिस्सेदारी 37 फीसदी है जबकि मलेशिया और थाईलैंड ने शेष 63 फीसदी का योगदान दिया है। जानकारी के मुता‎बिक इंडोनेशिया से कुल पाम के तेल का आयात 9.8 लाख टन के करीब था, जिसमें से सीपीओ और आरबीडी पामोलिन पांच लाख टन और 4.8 लाख टन था। उद्योग के लोगों के अनुसार रिफाइंड पाम तेल और आरबीडी ओलीन मिश्रित हैं और इस प्रकार इस 4.8 लाख टन आरबीडी आयात में से ओलियन का हिस्सा 2.5 लाख टन के करीब होगा। इसकी भरपाई आने वाले महीनों में मलेशिया और थाईलैंड के बाजार से हो सकती है। क्रिसिल रिसर्च का कहना है कि हालांकि आरबीडी ओलियन पर प्रतिबंध लगाने के लिए इंडोनेशिया का यह कदम अल्पकालिक मूल्य अस्थिरता पैदा कर सकता है और यह भारतीय खाद्य तेल रिफाइनरों के लिए अनुकूल होगा क्योंकि इससे देश में सीपीओ आयात का हिस्सा बढ़ेगा।
 

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