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 कृषि आय बढ़ाने के लिए किसान करें प्रौद्योगिकी का उपयोग: तोमर -किसान भागीदारी, प्राथमिकता हमारी अभियान शुरु करते हुए यह बात कही -तोमर ने देश के कई राज्यों में कृषि विज्ञान केंद्रों में किसानों से की बात

 कृषि आय बढ़ाने के लिए किसान करें प्रौद्योगिकी का उपयोग: तोमर -किसान भागीदारी, प्राथमिकता हमारी अभियान शुरु करते हुए यह बात कही -तोमर ने देश के कई राज्यों में कृषि विज्ञान केंद्रों में किसानों से की बात

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से उत्पादन और आय बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का उपयोग करने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने नई बीज किस्मों को अपनाने, नई तकनीकों का उपयोग करने और अपनी कृषि भूमि की गुणवत्ता का परीक्षण कराने का आग्रह किया। तोमर ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 25-30 अप्रैल के दौरान आयोजित होने वाले किसान भागीदारी, प्राथमिकता हमारी अभियान की शुरुआत करते हुए यह बात कही। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, तोमर ने देश भर के कई राज्यों में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में मौजूद किसानों से बातचीत की। इसका उद्देश्य किसानों को सरकार की प्रमुख योजनाओं से अवगत कराना और जमीनी स्तर पर किसानों को मिलने वाले लाभों का आकलन करना था। किसानों से बातचीत करते हुए, तोमर ने कृषि क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि इसका उदाहरण है कि कैसे प्रौद्योगिकी का उपयोग पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।
  उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को अपनाना, फसलों का विविधीकरण और निर्यात बाजार में गुणवत्ता बनाए रखना आवश्यक है। मंत्री ने किसानों से कहा कि उन्हें समय के साथ प्रयोग करने और बदलने के लिए तैयार रहना चाहिए, उन्हें नई किस्म के बीजों का उपयोग करने, अपनी मिट्टी की गुणवत्ता का परीक्षण करने, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में शामिल होने और ड्रोन सहित नई प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
  तोमर ने कहा कि केवीके और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) विकसित प्रौद्योगिकियों को कृषक समुदाय तक ले जाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इसके साख ही उन्होंने कहा कि किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के सुरक्षा कवच को अपनाना चाहिए। वहीं, प्राकृतिक खेती पर मंत्री ने कहा कि इसे बढ़ावा दिया जा रहा है और कृषि अनुसंधान संस्थान आईसीएआर इसे पाठ्यक्रम में शामिल कर रहा है।
 

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