भारत छोड़कर विदेश में जा बसे लोगों में कनाडा की स्थायी रूप से रहने का चलन लगातार जारी है। इसमें वे लोग भी शामिल हैं, जो अमेरिका में रह रहे हैं। साल 2018 में 39,500 भारतीय नागरिकों ने एक्सप्रेस एंट्री स्कीम के तहत कनाडा में स्थायी निवास हासिल किया। हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में कनाडा में 92,000 से ज्यादा लोगों ने एक्सप्रेस एंट्री स्कीम के तहत स्थायी निवास हासिल किया। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 41 फीसदी अधिक है। 2017 में कनाडा में इसी तरीके से 65,500 लोगों ने स्थायी निवास हासिल किया, जिसमें से 26,300 लोग सिर्फ भारत से थे। 2017 की तुलना में 51 पर्सेंट अधिक भारतीयों ने कनाडा की स्थायी निवास हासिल किया है। वहीं, 2017 में दूसरे नंबर पर रहा चीन 2018 में तीसरे नंबर पर पहुंच गया। 2018 में चीन के मात्र 5,800 लोगों ने कनाडा में स्थायी निवास हासिल किया। 2018 में दूसरे नंबर पर नाइजीरिया है।
अमेरिका में वीजा संबंधी प्रक्रिया ने बढ़ाई मुश्किल
अमेरिका में रह रहे भारतीयों को वीजा संबंधी किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एच1बी वीजा में देरी या मनाही, ग्रीन कार्ड बैकलॉग या फिर पति/पत्नी को एच1बी वीजा ना मिलने के चलते कई भारतीय अमेरिका से कनाडा शिफ्ट हो रहे हैं। भारत में रह रहे लोग भी नौकरी या स्थायी निवास के लिए अमेरिका की जगह कनाडा को तरजीह दे रहे हैं। बता दें कि हाल ही में कनाडा ने ग्लोबल टैलेंट स्ट्रीम (जीटीएस) को पाइलट स्कीम से बदलकर स्थायी स्कीम बना दिया है, इसके चलते कनाडाई कंपनियां सिर्फ दो हफ्ते में अप्रवासियों को कनाडा ला सकती हैं। इस बदलाव के चलते संभावना जताई जा रही है कि कनाडा में नौकरी के लिए भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने 10 अक्टूबर को छापा था कि ज्यादातर जीटीएस कर्मचारी भविष्य में स्थानीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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कनाडा बन रहा भारतीयों का दूसरा घर