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 विदेश नीति में भारत की धाक यूके से अमेरिका तक आलोचना से कर रहा परहेज़

 विदेश नीति में भारत की धाक यूके से अमेरिका तक आलोचना से कर रहा परहेज़

नई दिल्ली । रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत की जिस तरह की वैश्विक नीति रही है उससे पूरी दुनिया हैरान है। भारत अपनी वैश्विक नीति को लेकर दृढ़ता के साथ खड़ा है। एक तरफ भारत यूक्रेन को मदद भेज रहा है वहीं दूसरी तरफ तमाम ताकतवर देशों की मर्जी के संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ वोटिंग से अलग रहा है। ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन आते हैं, व्यापार करते हैं और चले जाते हैं। यूक्रेन को लेकर कोई बात नहीं करते। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भारत से बात करते हैं और भारत का रूख जानने के बाद वैश्विक मंच से रूस का सपोर्ट करने को लेकर चीन को धमकाते हैं लेकिन भारत को लेकर चुप रहते हैं। ये सब उदाहरण इन बातों का सबूत है कि भारत वैश्विक स्तर पर कितना मजबूत हो रहा है। एक समय था जब अमेरिका बात-बात पर भारत को धमकाता था। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने उन्हें धमकी दी थी कि अगर भारत ने पाकिस्तान में घुसी अपनी सेना को वापस नहीं बुलाया तो वो अनाज रोक देंगे। इंदिरा गांधी के समय भी अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निकसन ने इंदिरा गांधी को मुलाकात के लिए 45 मिनट तक इंतजार करवाया था। इसके बाद भी उन्होंने इंदिरा गांधी से बदतमीजी की थी। लेकिन भारत का वो दौर चला गया जब वो किसी के दवाब में आकर अपने फैसले बदल लिया करता था। भारत की विदेश नीति इतनी मजबूत है कि भारत का धुर विरोधी देश पाकिस्तान भी भारत की विदेश नीति का कायल हुआ जा रहा है। इमरान खान ने कुर्सी जाने से पहले अपने देश में जनता को संबोधित करते हुए कई बार भारत की विदेश नीति की जमकर तारीफ की। पिछले दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ तौर पर कहा था कि भारत को किसी देश की सलाह की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि भारत अब पश्चिमी देशों से अपनी शर्तों पर बात करेगा। ठीक वैसा ही हो रहा है। इन दिनों पीएम मोदी तीन दिनों के यूरोप दौरे पर हैं। इस दौरान जब रूस-यूक्रेन युद्ध पर बात छिड़ी तो पीएम मोदी ने साफ कहा कि युद्ध से कोई देश नहीं जीतता और भारत हमेशा से बातचीत के जरिए मुद्दे सुलझाने की पैरवी करता रहा  है।
 

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