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रूस को लेकर भारत की चुप्पी पर जर्मन मीडिया ने उठाए सवाल

रूस को लेकर भारत की चुप्पी पर जर्मन मीडिया ने उठाए सवाल

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिनों की यूरोपीय यात्रा पर हैं। जर्मनी के बाद वो डेनमार्क पहुंचे और आखिर में फ्रांस के दोबारा राष्ट्रपति चुने गए इमानुएल माक्रों से पेरिस में मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी 2 मई को छठी इंटर गवर्नमेंटल कंसल्टेशन  के लिए जर्मनी पहुंचे थे। जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के साथ मुलाकात में 14 समझौतों पर दस्तखत हुए हैं। आपको बता दें कि यूक्रेन पर रूसी हमले के साए में हुए पीएम मोदी के इस दौरे पर जर्मन मीडिया में खासी दिलचस्पी दिखी। बर्लिन से प्रकाशित दैनिक बर्लिनर साइटुंग के अनुसार ओलाफ शॉल्त्स ने भारत को एशिया में जर्मनी का प्रमुख सहयोगी बताया। इसके लिए स्टील और रसायन उद्योग में उत्पादन की प्रक्रिया को पूरी तरह बदलना होगा। खासकर ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा को प्रमुख भमिका निभानी होगी, जिसे बनाने के लिए अभी अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल होता है। जर्मनी को बड़े पैमाने पर हाइड्रोन ऊर्जा का आयात करना होगा।" जर्मनी और भारत का ऊर्जा सहयोग इसी पर आधारित है। जर्मनी की समस्या यह है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिए हैं। जर्मनी अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर था, लेकिन हमले के बाद माहौल बदल गया है और जर्मनी अपनी निर्भरता खत्म करना चाहता है। और इसके लिए उसे भारत की जरूरत है। म्यूनिख से प्रकाशित ज्युड डॉयचे साइटुंग ने लिखा है, "जब आपके दोस्त का दोस्त (रूस) समस्या पैदा करने का फैसला करता है और इतना ही नहीं जब वह यूरोप में युद्ध शुरू करता है और पड़ोसी पर हमला करता है तो गंभीर बातचीत की जरूरत होती है। जर्मनी के भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते हैं। लेकिन धरती के इस आबादी बहुल देश के रूस के साथ भी निकट संबंध हैं। और यूक्रेन पर हमले के बावजूद वह इसे बनाए भी रखना चाहता है। प्रधानमंत्री मोदी तीन दिनों की यूरोपीय यात्रा पर हैं। जर्मनी के बाद वो डेनमार्क पहुंचे हैं और आखिर में फ्रांस के दोबारा राष्ट्रपति चुने गए इमानुएल माक्रों से पेरिस में मुलाकात करेंगे।
 

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