नई दिल्ली । भारतीय दंड संहिता की धारा 124 -ए (राजद्रोह) की वैधता को चुनौती देते हुए उसे रद्द करने के निर्देश देने की मांग संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अब मंगलवार को सुनवाई जारी रखेगा। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहले मामलों को पांच या सात जजों की बड़ी बेंच को रेफर करने के मुद्दे पर सुनवाई करेगा। इस संबंध में शीर्ष अदालत ने जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को शनिवार तक का समय दिया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने एक सप्ताह का समय मांगा था। अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का अतिरक्ति समय देने की उच्चतम न्यायालय से बुधवार को गुहार लगाई थी। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना और न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की विशेष पीठ ने 27 अप्रैल को सुनवाई करते हुए सरकार को 30 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। इससे पहले, केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से कुछ और समय देने का अनुरोध करते हुए कहा कि चूंकि यह मुद्दा अत्यधिक महत्वपूर्ण है इसलिए जवाब दाखिल करने के लिए वकीलों द्वारा तैयार किए गए मसौदे पर सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में कुछ नई याचिकाएं भी दायर की गई हैं और उन पर जबाव देना भी आवश्यक है। इसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ इस मामले को मंगलवार दोपहर दो बजे के लिए सूचीबद्ध करें। सॉलिसिटर जनरल सोमवार तक जवाब (हलफनामा) दाखिल करें। इस मामले को अब और स्थगित नहीं किया जाएगा।’’ पीठ ने साथ ही इस मामले के निपटारे के लिए सुनवाई की तारीख 5 मई मुकर्रर करते हुए स्पष्ट तौर पर कहा था कि एक साल से लंबित इस मामले में स्थगन आदेश की कोई अर्जी स्वीकार नहीं की जाएगी। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को भी यही बात दोहराई। सरकार ने रविवार को एक नया आवेदन पत्र दायर कर कहा था कि जवाब तैयार है, लेकिन संबंधित अथॉरिटी से स्वीकृति मिलनी अभी बाकी है।
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खत्म होगा राजद्रोह कानून वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को बड़ा फैसला