नई दिल्ली । भारत-इजरायल के रिश्ते प्रगाड़ है और इसके पीछे की कहानी बया की विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनके मुताबिक दोनों देशों के रिश्तों में गर्माहट सही मायने में तब आई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2017 में तेल-अवील की यात्रा पर गए। वह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों के मामले में ‘रोंगटे खड़े कर देने वाला लम्हा’ थी। इजरायल की आजादी के 74 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने कहा, ‘मैं कई सालों से विदेश सेवा से संबद्ध रहा हूं। इस अवधि में जब मैं भारत-इजरायल के संबंधों के बीते सालों को देखता हूं, तो मुझे 2017 ही सबसे रोमांचक मोड़ नजर आता है। उस साल पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री इजरायल की यात्रा पर गए थे। सही मायनों में दोनों देशों के संबंधों ने रफ्तार तभी पकड़ी।’ एस जयशंकर ने इन संबंधों के भविष्य के लिहाज से भी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘इजरायल भारत के ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल का मजबूत भागीदार है। दोनों देश ज्ञान-आधारित संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान दे रहे हैं। मिलकर नवाचार और शोध कर रहे हैं। इन आधारों पर जब मैं भविष्य की ओर से देखता हूं तो सबसे उत्साहजनक बात नजर आती है बौद्धिक साझेदारी। दोनों तरफ के छात्र-छात्राएं इधर-उधर आ-जा रहे हैं। विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।’
इस दौरान जयशंकर ने ‘क्वाड’ के मसले पर भी चर्चा की। चार देशों में इस समूह में भारत, अमेरिका, इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह समूह क्षेत्र में आर्थिक साझेदारी के विस्तार के अहम भूमिका निभाएगा। इस मौके पर भारत, श्रीलंका, भूटान में इजरायल के संयुक्त-राजदूत नाओर गिलोन ने अपने देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हुए समारोह में भारतीय विदेश मंत्री की उपस्थिति को बेहद अहम बताया। गिलोन ने कहा, ‘हम आज सिर्फ अपने देश की आजादी की वर्षगांठ नहीं मना रहे हैं। बल्कि, भारत- इजरायल के बीच पूर्ण स्तर के द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना के 30 साल पूरे होने का जश्न भी मना रहे हैं। हालांकि दोनों देशों के बीच के संबंध इन 30 सालों में मजबूत नहीं हुए हैं। दो प्राचीन सभ्यताओं और आज के आधुनिक देशों के बीच ये संबंध सदियों पुराने हैं।’
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भारत-इजरायल रिश्ते- पीएम मोदी की 2017 की तेल-अवीव यात्रा रोंगटे खड़े कर देने वाला लम्हा’ थी: जयशंकर