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 शैक्षणिक संस्थान खुलने के साथ यूनिफॉर्म व्यवसाय ने फिर पकड़ा जोर

 शैक्षणिक संस्थान खुलने के साथ यूनिफॉर्म व्यवसाय ने फिर पकड़ा जोर

बेंगलुरु । कोरोनाकाल में लगभग दो साल तक शैक्षणिक गतिविधियां बाधित रहीं। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अन्य शैक्षणिक संस्थान ज्यादातर समय बंद रहे और जब खुले तो अभिभावक अपने बच्चों को महामारी के डर के कारण नियमित पढ़ने भेजने से कतराते रहे। अब जबकि जून से नया सत्र शुरू हो रहा है, तो सबकुछ फिर से पहले की तरह नॉर्मल होने की उम्मीद है। इस बीच नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत करीब होने के साथ यूनिफॉर्म बिजनेस को भी एक नया जीवन मिल गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक यूनिफॉर्म विक्रेताओं का कहना है कि इस वर्ष उनकी सेल काफी बढ़ गई है। क्योंकि कोरोना काल में ज्यादातर समय स्कूल बंद रहे, पढ़ाई ऑनलाइन हो गई थी। इस दौरान बच्चों का शरीर काफी बदल गया है। बेंगलुरु के जयनगर में दीना यूनिफॉर्म्स के नाम से दुकान चलाने वाले पवन जसवानी ने बताया, ‘मैं पिछले 48 सालों से यूनिफॉर्म बिजनेस से जुड़ा हूं। बच्चों की फिटिंग में इतना बड़ा बदलाव मैंने पहले कभी नहीं देखा। हर आयु वर्ग में बच्चों की कमर का आकार बढ़ गया है। कोविड से पहले जहां एक 15 साल के बच्चे-बच्ची की स्कर्ट या ट्राउजर के लिए यह अधिकतम वेस्ट साइट 36 इंच थी, वहीं अब यह लगभग 40 इंच हो गई है। हम रेडीमेड कपड़ों के बिजनेस में हैं, हमें अब एक्स्ट्रा वेस्ट साइज यूनिफॉर्म्स की संख्या बढ़ानी होगी।’
एक अन्य यूनिफॉर्म वेंडर चौहान एंड संस के प्रदीप चौहान का कहना है कि बच्चे आकार में बड़े हो गए हैं। अब बड़े साइज वाले यूनिफॉर्म की मांग है। विक्रेताओं के अनुसार, स्कूल यूनिफॉर्म की सेल में तजी आई है, लेकिन यह अभी तक मई में होने वाली बिक्री के सामान्य स्तर तक नहीं पहुंचा है। अभिभावक अब भी हिचकिचा रहे हैं। भले ही स्कूल सुनिश्चित हों कि वे जून में फिर से खुलेंगे, माता-पिता इंतजार करना और देखना चाहते हैं। पवन का कहना है, हम उम्मीद कर रहे हैं कि मई के मध्य तक सही तस्वीर सामने आएगी और बिक्री सामान्य हो जाएगी। विक्रेताओं का कहना है कि कीमतें भी बढ़ गई हैं। प्रदीप चौहान का कहना है कोविड वर्षों की तुलना में यूनिफॉर्म की लागत में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है। यार्न की दर बढ़ गई है, जिससे समान कीमतें प्रभावित हुई हैं।
विक्रेताओं का कहना है कि स्कूलों ने यूनिफॉर्म बदलने और खुद को फिर से परिभाषित करने के इस अवसर का लाभ उठाया है। हरिहरन सुब्रमण्यम का कहना है, ‘ज्यादातर स्कूलों को लगता है कि यूनिफॉर्म बदलने का यह सही समय है। यूनिफॉर्म में मुख्य परिवर्तन यह हुआ है कि अब पारंपरिक से बदलकर जेंडर न्यूट्रल यूनिफॉर्म का चलन बढ़ गया है। हरिहरन का कहना है कि पिछले दो वर्षों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से परिचित होने के परिणामस्वरूप ऑनलाइन यूनिफॉर्म की खरीद में वृद्धि हुई है। उनके मुताबिक, ‘लोगों के शॉपिंग एक्सपीरियंस में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। इसलिए हमने अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए यूनिफॉर्म खरीदते समय फिटिंग और साइज में मदद करने के लिए एक केस्टमर-सपोर्ट टीम की स्थापना की है।’
 

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